पटना(व्हीएसआरएस न्यूज) बिहार का चुनाव और राजनीति एक परिवारवाद का प्रयोगशाला बन गया है। चुनाव में परिवार,रिश्तेदार कौन किसके सामने ताल ठोंकेंगे कहा नहीं जा सकता। बिहार चुनाव की बारात सज गई। सभी दलों ने टिकटों का एलान कर चुके है। उम्मीदवारों पर नजर डालने पर पाया गया है कि ससुर-दामाद,समधन-समधी एक दूसरे के सामने किस्मत आजमा रहे है। जनता की अदालत में न्याय की गुहार लगा रहे है। ससुर-दामाद जदयू,राजद और हम के प्रत्याशी है। समधी-समधन का एक ही दल से मैदान में उतरना दिलचस्प लडाई हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी गया जिले की इमामगंज सीट से चुनाव लड रहे है। दामाद देवेंद्र मांझी को जहानाबाद के मखदुमपुर से चुनाव लडवा रहे है। समधन ज्योति देवी बाराचट्टी से किस्मत आजमा रही है।
मधेपुरा के आलगनगर सीट से पिछले 25 साल से जीतने वाले नरेंद्र नारायण यादव के सामने जदयू ने उनके ही दामाद निखिल मंडल को उतार कर ससुर-दामाद को राजनीतिक दुश्मन बना दिया है। लालूू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय और लालू के पुत्र तेजप्रताप यादव के रिश्ते भी टूट चुके है। चंद्रिका अपनी पुरानी सीट परसा से जदयू से मैदान में है तो दामाद समस्तीपुर के हसनपुर से मैदान में उतरे है।
एक ही दल से एक जोड़ी पति-पत्नी भी जनता की अदालत में उतरे हैं। जदयू के टिकट पर विधायक कौशल यादव नवादा सीट से तो उनकी पत्नी पूर्णिमा देवी गोविंदपुर सीट से मैदान में हैं। 2015 के चुनाव में पूर्णिमा कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं। दो चचेरे भाई भी दो दलों से उतरे हैं। जदयू के टिकट पर ओबरा से सुनील कुमार तो गोह से राजद के सिम्बल पर भीम कुमार सिंह मैदान में हैं। भीम पूर्व विधायक स्व. रामनारायण सिंह के पुत्र हैं तो सुनील उनके भतीजे हैं। डेढ़ दर्जन से अधिक नेता पुत्र, पुत्री, पत्नी और बहू मैदान में बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में बड़ी संख्या में नेता पुत्र, पुत्री, पत्नी और बहू मैदान में अपना भाग्य आजमाने उतरी हैं। प्राय: सभी दलों ने ऐसे प्रत्याशी दिए हैं, जिनका संबंध राजनीतिक परिवारों से है। इनमें बहुतेरे हैं, जिन्होंने चुनावी टिकट अपनी मेहनत पर नहीं बल्कि राजनीतिक विरासत की वजह से पाए हैं।
मौजूदा चुनाव में दोनों प्रमुख घटकों महागठबंधन और एनडीए की ओर से पहले चरण में कई नेताजी के बेटे-बेटी-बहू और पत्नियों को मैदान में उतारा गया है। कुछ ने कानूनी मजबूरी से अपने आश्रित को राजनीति में उतारा है, कुछ ने अस्वस्थता और अधिक उम्र की वजह से तो कई अपने रहते बेटे-बेटी को राजनीति में स्थापित करने की मंशा से। कांग्रेसकांग्रेस ने अपने दो वरिष्ठ विधायकों सदानंद सिंह और अवधेश कुमार सिंह के आग्रह पर मैदान में उनके बेटे को उतारा है। शुभानंद सिंह कहलगांव तो शशिशेखर सिंह वजीरगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व विधायक आदित्य सिंह की बहू नीतू कुमारी हिसुआ तो पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के पुत्र राजेश राम कुटुम्बा से उतरे हैं। भाजपा भाजपा ने पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह को जमुई से प्रत्याशी बनाया है।
भाजपा नेताओं की दूसरी पीढ़ी के रूप में संजीव चौरसिया, नितिन नवीन और राणा रणधीर सिंह फिर मैदान में उतरे हैं। भभुआ सीट से रिंकी रानी पांडेय भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। वह पूर्व विधायक स्व. आनंद भूषण पांडेय की पत्नी हैं। जदयू जदयू में पहले चरण के चुनाव में अमरपुर विधायक जनार्दन मांझी के पुत्र जयंत राज अमरपुर से, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार घोषी से उतरे हैं। राजदबात राजद की करें तो इस दल ने राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा और अरुण यादव की पत्नी किरण देवी को संदेश से टिकट दिया है। दोनों दुष्कर्म मामले में दागी हैं पर राजद ने उनकी पत्नियों को अपना उम्मीदवार बनाने से कोई परहेज नहीं किया। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह रामगढ़, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह ओबरा, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी शाहपुर, पूर्व सांसद जयप्रकाश यादव की बेटी दिव्या प्रकाश तारापुर तो भाई विजय प्रकाश जमुई से मैदान में उतरे हैं।