पटना(व्हीएसआरएस न्यूज) बिहार में नीतिश सरकार अभी तक की सबसे चौपट सरकार साबित हो रही है। बिहार का भविष्य उज्ज्वल बनाने की बात कह कर शासन में आई नीतिश सरकार का आलम यह है कि अब तो उद्घाटन के पहले ही पुल बह जा रहा है। किशनगंज में कनकई नदी पर बने पुल की ऐसी ही हालत हुई है। ऐसे में इस सरकार की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। गया जिले के ग्रामीणों ने 30 साल के इंतजार के बाद तंग आकर खुद ही 17 दिनों में वहां नदी पर पुल बना लिया था।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले पुलों के उद्घाटन और शिलान्यास की बहार है। मगर कहा जा रहा है कि इस बार कमजोर पुल पर नीतिश सरकार सवार है। पुलों के निर्माण में लापरवाही व भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। कल ही गया जिले में बरसों तक सरकारी लापरवाही के बाद ग्रामीणों द्वारा खुद ही पुल बनाने की खबर आई थी। अब खबर है कि किशनगंज में उद्घाटन के पहले ही एक पुल पानी में बह गया। इस बारे में कहा जा रहा है कि पुल निर्माण में बारी भ्रष्टाचार हुआ है और इस कारण पुल काफी कमजोर बना था।
गौरतलब है कि किशनगंज जिले में एक निर्माणाधीन पुल टूट गया है। जल्द ही इसका उद्घाटन होने वाला था। किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड के पथरघट्टी पंचायत के गोआबाड़ी गांव में कनकई नदी की बरसाती धार में बन रहे निर्माणाधीन पुल का एक पाया धंस गया। इसके बाद देखते ही देखते पूरा का पूरा पुल बह गया। यह पुल बनकर पूरी तरह से तैयार था। सिर्फ एप्रोच रोड बनना बाकी था। माना जा रहा था कि चुनाव से पहले इसका उद्घाटन होता। इस पुल को बनाने में करीब 1.42 करोड़ रुपए की लागत आई थी। यह 26 मीटर स्पैन का पुल था। पुल टूटने की घटना 16 सितंबर यानी मंगलवार रात की है।
कई दिनों से जारी बारिश के चलते पथरघट्टी के पास कनकई नदी का बहाव तेज हो गया और इस बहाव में पुल भी बह गया। पुल के बह जाने के बाद यह पूरा इलाका किसी टापू समान दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि पुल का निर्माण कार्य पूरा होते ही पुल का उद्घाटन होने वाला था,लेकिन उससे पहले ही पुल बह गया,जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पुल बनाने में लापरवाही बरती गई है, जिससे ये घटना घटी है।
डायवर्जन नहीं बनने से बहा पुल
लगातार दो दिनों से हो रही बारिश की वजह से नदी की धार बदल गई। धार उस इलाके से निकली जहां पर निर्माणाधीन पुल था। पुल के पास 20 मीटर का डायवर्जन बनाना था लेकिन यह नहीं बनाया गया। इसकी वजह से नदी की धार घूम गई और पुल टूट गया। डायवर्जन बना होता तो नदी की धार नहीं बदलती और पुल नहीं गिरता। लेकिन टूटने के बाद मलबा पानी में बह गया। गोआबाड़ी पुल जिस इलाके में बनाया जा रहा है, वह इलाका इन दिनों बाढ़ की मार झेल रहा है। इलाका कई दिनों से पानी में डूबा हुआ है।