पश्चिम चंपारण| व्हीएसआरएस न्यूज: बगहा में कोरोना संक्रमण के भय के बीच न सिर्फ धार्मिक स्थल बल्कि स्कूल कॉलेज समेत अन्य शिक्षण संस्थानों में भी ताला लटक गया। इस विकट परिस्थिति में धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों के दर पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी। लेकिन, वायरस की भयावहता ने कई चिकित्सकों के हिम्मत को तोड़ दिया। तभी तो चिकित्सीय सेवा का हब माने जाने वाले हरनाटाड़ में मरीज दर ब दर मरीज भटकने लगे। फिलहाल, यहां भी कई अस्पतालों में ताला लटक गया है। जबकि
सरकार ने भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए सूबे में कई तरह की पाबंदिया लगा रखी हैं।
संक्रमण के डर से कई चिकित्सक अपनी ओपीडी बंद कर फोन पर सेवाएं दे रहे हैं। तो आज भी हरनाटांड़ में दो फिजिशियन मरीजों की जान बचाने में लगे हुए हैं। ये वास्तव में धरती के भगवान हैं। कोरोना से लेकर अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए हरनाटांड़ के फिजिशियन चिकित्सक डॉ. प्रदीप कुमार गिरि एवं शारदा हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. उमेश कुमार गुप्ता 24 घंटे सेवा दे रहे हैं। बीते वर्ष मार्च-अप्रैल में जब कोरोना ने दस्तक दी तो आधी अधूरी तैयारियों के बीच अस्पताल में मरीज पहुंचने लगे। उस वक्त न तो कोरोना की भयावहता का एहसास था और ना ही इसकी कोई दवा बनी थी। लेकिन जब धीरे धीरे दिन गुजरा और टीकाकरण शुरू होने लगा तो ऐसा लग कि कोरोना अब खत्म हो रहा है। लेकिन एक बार फिर कोरोना के दूसरे स्ट्रेन में सबको हिलाकर रख दिया है। जिससे चिकित्सकों तक ने अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं। लेकिन कोरोना को छोड़ किसी अन्य बीमारी से कोई मरीज न मर जाए उसे देखते हुए हरनाटांड़ के इन दो चिकित्सकों ने ओपीडी चालू रखी है।
हर दिन औसतन 100 मरीजों का इलाज
आपको बताते चले कि मौसम की बेरुखी के बीच सामान्य बुखार और सर्दी खांसी से आक्रांत मरीज इलाज के लिए अस्पताल जाने से पूर्व सोच रहे। ऐसे मरीजों के लिए चिकित्सक द्वय वरदान साबित हो रहे। डॉ. गिरि व डॉ. गुप्ता बताते हैं कि प्रतिदिन औसतन 100 मरीज इलाज को पहुंचते हैं। इनमें कई में कोरोना से मिलते जुलते लक्षण दिखाई देते हैं। इन मरीजों की जांच में सावधानी आवश्यक है। सो, कईयों को होम आइसोलेट कर दिया जाता। भले ही उनकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव है। बताते हैं कि संकट की इस घड़ी में चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती। सो, हम अपने कर्त्तव्य से विमूख नहीं हो सकते।