पंचदेवरी। व्हीएसआरएस संवाददाता: खरीफ सीजन में बारिश तो अच्छी हुई लेकिन उसका परिणाम फसलों पर नहीं दिखा। कारण यह रहा कि शुरुआत में धूप उसके बाद बरसात और फिर से धूप ने फसलों को संजीवनी देने के बजाय नुकसान पहुंचाया। आलम यह रहा कि जहां धान की फसल पहले झुलसा और खैरा रोग की चपेट में रही, वहीं अब धान की फसलों के पकने की अवस्था में तेजी से फाल्सस्मट (हल्दिया रोग) अपनी चपेट में ले चुका है। इसकी जांच बुधवार को कृषि विभाग के पदाधिकारियों ने की। जांच के क्रम में पाया गया गया कि पंचदेवरी के लगभग 40 गांव इस रोग से प्रभावित है।
भाठवां गांव के धनंजय मिश्र ने बताया कि इस साल भीषण धूप ने किसानों को काफी परेशान किया। फसल तना छेदक और पत्ती लपेटा की चपेट में आ गई। सिकटिया के अजय पाण्डेय ने बताया कि फसल झुलसा और खैरा रोग से बुरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। गहनी के मदन मोहन दुबे ने बताया कि धान की फसल को तेजी से हल्दिया रोग खत्म कर रहा है। भृंगीचक के राम बालक मिश्र ने बताया कि एक प्लाट में इस रोग ने अपना पैर पसार लिया तो अगल-बगल के सभी प्लाटों में तेजी से फैलने लगता है। जिससे फसलों को बचा पाना आसान नहीं होता। धान की फसलों में बाली पकने की अवस्था में यह रोग प्रभावित हो जाता है। बालियों में पीला-पीला गांठदार आकार बन जाता है। जिससे दाने मर जाते हैं और उसमें से पाउडर की तरह उड़ने वाला पीला पदार्थ अन्य खेतों को भी प्रभावित करने लगता है। कृषि विशेषज्ञ सुनील कुमार सिंह और पंकज पाण्डेय ने बताया कि रोग के प्रभाव को कम करने में कॉपर ऑक्सिक्लोराइड और स्टेप्टो साइक्लीन की अहम भूमिका होती है। जिसे क्रमश: 500 ग्राम एवं 60 ग्राम एक एकड़ में छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा पिकोक्सीस्ट्रोबिन और ट्राईसाईक्लाजोल का कंबीनेशन भी कारगर है।
इस संबंध में कृषि पदाधिकारी राजकुमार ने बताया कि जांच की जा रही है। कितने हेक्टेयर में रोग ने अपना प्रभाव किया है। एक दो दिन में पता चल जाएगा। वैसे लगभग 40 गांव प्रभावित है।