पटना । व्हीएसआरएस संवाददाता: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अब नई सरकार के गठन की बारी है। इसक लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में कवायद शुरू है। इस सिलसिले में शुक्रवार को एनडीए के सभी घट दलों के नेताओं की अनौपचारिक बैठक मुख्यमंत्री आवास पर हुई। बैठक में नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुनने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बीच बड़ी खबर यह है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल को मंत्रिमंडल में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। चर्चा है कि उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और सुशील मोदी ने इस बाबत जानकारी से इनकार किया है।
आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर एनडीए नेताओं की अनौपचारिक जुटान हुई। इसके बाद एनडीए विधायक दल की औपचारिक बैठक 15 नवंबर को 12:30 बजे से होगी, जिसमें मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लग जाएगी। में इसपर मुहर लग जाएगी। बताया जाता है कि इसी दौरान कामेश्वर चौपाल को कोई अहम जिम्मेदारी देने की भी घोषणा भी की जा सकती है। कामेश्वर चौपाल कहते हैं कि पार्टी का सिपाही होने के नाते जो जिम्मेदारी दी जाएगी, उसका वे निर्वाह करेंगे।
आपको बताते चले कि कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 1989 के राम मंदिर आंदोलन के समय हुए शिलान्यास में कामेश्वर ने ही राम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। आरएसएस ने उन्हें पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। वह 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। वे बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले हैं जो मिथिला में पड़ता है। एक मैग्जीन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कामेश्वर चौपाल ने बताया था कि हम लोग जब बड़े हो रहे थे तो राम को अपना रिश्तेदार मानते थे। उनके मुताबिक मिथिला इलाके में शादी के दौरान वर-वधू को राम-सीता के प्रतीकात्मक रूप में देखने की प्रथा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मिथिला को सीता का घर कहा जाता है।
वही कामेश्वर ने अपनी पढ़ाई-लिखाई मधुबनी जिले से की है। यहीं वे संघ के संपर्क में आए थे। उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता हुआ करते थे। संघ से जुड़े उसी अध्यापक की मदद से कामेश्वर को कॉलेज में दाखिला मिला था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे संघ के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो चुके थे। इसके बाद उन्हें मधुबनी जिले का जिला प्रचारक बना दिया गया था। नवंबर 1989 में राम मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम रखा गया था। उस समय कामेश्वर चौपाल अयोध्या में ही मौजूद थे। वे एक टेंट में रह रहे थे। उनके कमरे में विहिप के तत्कालीन प्रमुख अशोक सिंघल के एक करीबी व्यक्ति आए और उन्हें बताया कि आपको शिलान्यास के लिए चुना गया है। इसके बाद चौपाल ने ही राम के मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखी थी।
कामेश्वर चौपाल ने 1991 में लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि वे हार गए थे। 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2014 में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली।