मीरगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: चेहल्लुम के मौके पर इस बार मीरगंज में या हुसैन- या अली की सदाएं सुनने को नहीं मिली और मुस्लिम भाइयों ने खामोशी से इस गम के को घर से ही मनाया। शहर के मुस्लिम बहुल इलाके दक्षिण मोहल्ला, चूड़ी मोहल्ला, हरखौली, सवरेजी आदि इलाकों में इस बार चेहल्लुम को लेकर गतिविधियां ना के बराबर देखी गई।
वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए स्थानीय मुस्लिम वेलफेयर कमेटी में मदरसा इस्लामिया जमालूल कुरआन मे एक बैठक आयोजित कर यह निर्णय लिया था कि कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए इस बार घर से ही चेहल्लुम मनाया जाएगा। इस मौके पर होने वाले फातिहा खानी और जिक्रे हुसैन आदि घरों से ही किया जाएगा तथा सड़कों पर किसी तरह का जुलूस वगैरा नहीं निकाला जाएगा। इस मौके पर अपने अपने घरों और मस्जिदों से कोविड-19 से शीघ्र निजात दिलाने को लेकर दुआएं करने की अपील की गई।
इस मौके पर बताया गया कि इजादारी या ताजियादारी रीतिगत रूप से कोई खुशियों और उल्लास का त्यौहार नहीं है।इसका आयोजन इस्लाम धर्म के लिए हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के सेवाओं और उनके बलिदानों को स्वीकार करना है। इमाम हुसैन का व्यक्तित्व हमेशा से बलिदान का आदर्श रहा है। उससे बड़ा बलिदान इस संसार में विरले ही मिलेगा ।सच पूछा जाए तो इजादारी असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है। वास्तव में चेहल्लुम हजरत हुसैन की शहादत का चालीसवां होता है।