पटना। व्हीएसआरएस न्यूज: विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का शोर थमते ही प्रवासी प्रचारक लौटने लगे हैं। अधिकांश तो लौट भी गए हैं। कुछ प्रवासी प्रचारक जिनके जिम्मे कुछ काम बाकी है या फिर जिन्हें कोई व्यक्तिगत काम है वे फिलहाल प्रदेश में रुके हुए हैं। मगर ये भी मात्र एक-दो दिन के अंदर रवानगी ले लेंगे। बिहार से रवानगी लेकर कुछ पार्टियों के बड़े बड़े नेता अब बंगाल की तैयारी में जुटेंगे जहां अगले वर्ष चुनाव होने हैं।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सितंबर महीने में बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा करने के साथ ही तमाम राजनीतिक दलों ने चुनावी मैदान पर फील्डिंग सजाने की रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। दो प्रमुख राष्ट्रीय दल भाजपा-कांग्रेस ने चुनाव के लिए अपने बड़े-बड़े नेताओं को प्रचार की जिम्मेदारी देनी शुरू कर दी। चुनाव आयोग की गाइड लाइन का भी पार्टियों ने पूरा पालन किया। असल में कोरोना को देखते हुए आयोग ने अधिकतम 30 स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारने की अनुमति दी थी। जिसके बाद भाजपा ने बिहार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आहित्यनाथ, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव प्रभारी देवेंद्र फड़नवीस, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह, गिरिराज सिंह, धर्मेंद्र प्रताप, रघुवर दास, रविकिशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ, बीएल संतोष और बाबू लाल मरांडी जैसे नेताओं को बिहार में प्रचार की कमान सौंपी। इन नेताओं ने एनडीए के प्रत्याशियों के पक्ष में धुआंधार प्रचार किया। पांच नवंबर को प्रचार का दौर थमते ही इनमें से अधिकांश प्रवासी प्रचारक दोपहर से लेकर शाम की फ्लाइट लेकर अपने-अपने ठिकाने पर लौट चुके हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी ‘ए’ टीम को बिहार में उतार दिया। इस टीम की कमान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को सौंपी गई। पटना पहुंचते ही सुरजेवाला ने पाटलिपुत्र के 24 नंबर आवास में अपना डेरा डाला और चुनाव की बिसात बिछाने में जुट गए। कांग्रेस के प्रवासी प्रचारकों में पहला प्रमुख और बड़ा नाम राहुल गांधी का था। सोनिया और प्रियंका गांधी प्रचारक जरूर बनाए गए पर ये नेता बिहार नहीं आए। महागठबंधन उम्मीदवारों के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, इमरान प्रतापगढ़ी, शक्ति सिंह गोहिल, अजय कपूर, रागिनी नायक, सुष्मिता देव, राजबब्बर, सुबोधकांत सहाय, वीरेंद्र राठौर और पवन खेड़ा जैसे केंद्रीय नेताओं ने कमान संभाले रखी।
इन प्रवासी स्टार प्रचारकों में से अधिकांश ने अपनी भूमिका का निर्वहन होते ही वापसी ले ली है। दोनों राष्ट्रीय दलों में एक बार फिर प्रदेश नेतृत्व सक्रिय होने लगा है। दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों के नेताओं में कुछ जल्द ही फिर बिहार आएंगे मगर इसके पहले यह तय होना जरूरी होगा कि राज्य में नई सरकार किसकी बनने जा रही है।