पटना। व्हीएसआरएस न्यूज: साल भर में 12 पूर्णिमा में कार्तिक माह के पूर्णिमा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जब अधिक मास या मलमास लगता है तो पूर्णिमा की संख्या 12 से 13 हो जाती है। आचार्य पंडित संजीत भरद्वाज जी ने बताया की धार्मिक ग्रंथो के अनुसार कार्तिक माह के देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जगने के बाद सृष्टि का संचालन करते हैं। भगवान विष्णु ने पूर्णिमा तिथि पर मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की रचना की थी। इस दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध हुआ था जिसके बाद देवताओं ने देव दीपावली मनाई थी। वही सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का भी जन्मदिन होने के साथ तुलसी का अवतरण भी इस तिथि काे हुआ था।
मालूम हो की 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाया जाएगा। इस दिन ग्रह-गोचरों का भी शुभ संयोग बना है। पूर्णिमा के दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ सर्वसिद्धि एवं वर्धमान योग का संयोग बना है। पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर को 12:47 से प्रारंभ होकर 30 नवंबर को दोपहर 2:59 बजे तक है। उदया तिथि मान होने के कारण 30 नवंबर को पूर्णिमा पर स्नान दान किया जाएगा। इसी दिन कार्तिक स्नान का भी समापन होगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही वर्ष का चौथा और आखिरी उप-छाया चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। यह उपछाया चंद्रग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा। इसका असर भारत में नहीं पड़ेगा। जिसके कारण मंदिरों के पट खुले रहेंगे और पूजा अर्चना मंदिरों में होगी। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर आप घर में रखे गंगाजल को नहाने के जल में मिला कर स्नान कर सकते हैं।
आपको बताते चले की कार्तिक माह के समापन पर पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने के साथ गरीबों और असहायों के बीच कपड़ा, अन्न, जरूरत की वस्तुएं दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी। पूर्णिमा के दिन तुलसी के पास घी के दीपक जलाने और पूजा करने से घर की सुख-शांति बनी रहेगी। आचार्य ने बताया कि इस दिन घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा करने के साथ भगवान विष्णु को तुलसी पत्र की माला चढ़ाने से कृपा बनी रहती है। वही शनि दोष निवारण को लेकर तिल को जल में डालकर स्नान करने से शनि दोष समाप्त होता हैै। कुंडली में पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।