मुंबई । व्हीएसआरएस न्यूज़ : कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र में रेमडेसिविर को लेकर राजनीति गरमा गई है। महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के बयान पर हंगामा मचा है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की तरफ से कुछ रेमडेसिविर सप्लायर पर दवाब बनाया जा रहा है कि वे राज्य को स्टॉक ना भेजे। अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कह दिया है कि एक रेमडेसिविर सप्लायर को सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि वो कुछ बीजेपी नेताओं से मिला था।
महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की मारामारी के बीच मुंबई पुलिस पर दवा के भंडारण को लेकर एक फार्मा कंपनी के निदेशक को परेशान करने का आरोप लगा है। मुंबई पुलिस ने रेमडेसिविर दवा के भंडारण को लेकर एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ की और आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद उन्हें जाने दिया है. वहीं, इस मामले पर विपक्षी पार्टी बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई पुलिस पर फार्मा कंपनी के निदेशक को परेशान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर भी निशाना साधा है।
मुंबई पुलिस ने कहा- 60,000 शीशियों का भंडार जमा कर रखा था
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा की, रेमडेसिविर की आपूर्ति करने वाली एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पुलिस ने शीशियों के भंडार के सिलसिले में पूछताछ की थी। उन्होंने कहा, सूचना के आधार पर पुलिस ने फार्मा कंपनी के निदेशक को पकड़कर विले पार्ले में रखा था। अधिकारी ने कहा कि दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्होंने उसकी कम से कम 60 हजार रेमडेसिविर की शीशियां जमा करके रखी हुई हैं राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इसे घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दे दी है।
पुलिस के मुताबिक दमन के ब्रुक फार्मा के डायरेक्टर राजेश डोकानिया को पूछताछ के बाद जाने दिया गया। हालांकि उन्हें क्लीन चिट नहीं दी गई है। पुलिस को लगता है कि उन्होंने 60 हजार रेमडेसिविर की शीशियां जमा करके रखी हुई हैं। पुलिस ने यह जानकारी एफडीए के साथ साझा की है। मुंबई पुलिस और एफडीए ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है। जांच के दौरान डोकानिया का नाम सामने आया है।पुलिस पूछताछ के लिए डोकानिया को फिर बुला सकती है।
देवेंद्र फडणवीस का महाराष्ट्र सरकार पर हमला
देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाराष्ट्र सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की तरफ से एक रेमडेसिविर सप्लायर को डराया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले बीजेपी नेताओं ने दमन की ब्रुक फार्मा से संपर्क साधा था जिससे महाराष्ट्र में समय रहते रेमडेसिविर की आपूर्ति हो सके। इस बारे में हमारी तरफ से राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे को भी बताया गया था और केंद्र सरकार से भी जरूरी इजाजत ली गई थी। लेकिन हैरान रह गया जब पता चला कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA)के एक अफसर ने बाकायदा ब्रुक फार्मा सें संपर्क साधा और सिर्फ इसलिए डराया क्योंकि वे बीजेपी नेताओं से मिले थे। इस प्रकार की राजनीति को स्वीकार नहीं किया सकता ।
फडणवीस के मुताबिक प्रवीन दारेकर और MLC प्रसाद लाड कुछ दिन पहले दमन गए थे और वहां जाकर ब्रुक फार्मा के अफसरों से मिले। कंपनी से सिर्फ इतनी अपील की गई थी कि वे रेमडेसिविर का स्टॉक महाराष्ट्र को भेजे। उस समय कंपनी की तरफ से साफ कर दिया गया था अगर राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई तो वे पूरा स्टॉक देने को तैयार हैं।
इस विवाद को लेकर जब एक सीनियर पुलिस अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने इन तमाम आरोप को ही गलत बता दिया। उनकी मानें तो फार्मा कंपनी के डायरेक्टर से सिर्फ स्टॉक के सिलसिले में पूछताछ हुई थी। उन्होंने कहा- रेमडेसिविर सप्लाई करने वाली फार्मा कंपनी के एक डायरेक्टर से सिर्फ पूछताछ की गई थी। स्टॉक को लेकर कुछ सवाल-जवाब हुए थे
रेमडेसिविर को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गर्म
इस मामले में राजनीतिक तनातनी शनिवार सुबह उस समय शुरू हुई जब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रेमडेसिविर उत्पादकों पर महाराष्ट्र में उनका स्टॉक नहीं बेचने के लिए दबाव बना रही है। राज्य के भाजपा नेताओं के साथ ही केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने भी महाराष्ट्र सरकार पर पलटवार किया और इन आरोपों को ‘झूठा’ करार दिया। केंद्रीय मंत्रियों ने इसे महामारी पर सियासत करने की कोशिश करार दिया। फडणवीस ने कहा, ”मलिक और कुछ मंत्रियों को कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे लोगों की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है।उन्हें सियासत में ज्यादा दिलचस्पी है।”