पटना। व्हीएसआरएस न्यूज: देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार पटना सिटी का बड़ी पटनदेवी मंदिर जल्द ही नये स्वरूप में नजर आएगा। मंदिर के भवन का जीर्णोद्धार जनसहयोग से शीघ्र ही मकराना के संगमरमर से होगा। कार्तिक पूर्णिमा को जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ होगा। निर्माण कार्य के दौरान मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवती की प्रतिमा को दूसरे स्थान पर स्थापित कर भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा। गर्भगृह के निकट स्थापित माता पार्वती को मंदिर में पूरब की ओर शिवालय के निकट स्थापित करने की बात कही गई है। मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य संपन्न होने के बाद भगवती फिर से गर्भगृह में स्थापित की जाएंगी। पटना की महापौर सीता साहू ने रविवार को बताया कि जनसहयोग से ही बड़ी पटनदेवी का विकास किया जाएगा।
शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी के महंत विजय शंकर गिरि ने बताया कि सैकड़ों वर्ष प्राचीन मंदिर में सती का दक्षिण जंघा कटकर गिरा था। यहां भगवती का रूप सर्वानंदकारी तथा भैरव व्योमकेश हैं। यहां महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी की प्रतिमाएं एक साथ पूजनीय हैं। कोने में व्योमकेश भैरव के अलावा बाहर में साईंबाबा, पार्वती, गणेश, राधा-कृष्ण, शिव तथा महावीर की मूर्तियां जीवंत हैं। मंदिर के बीच शेर दर्शनीय है। मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है उसे पटनदेवी खंदा कहा जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान यहां श्रद्धालुओं की एक किलोमीटर लंबी लाइन लगती है। आदिकाल से ही यहां सार्वजनिक रूप से पूजा होते आ रही है। महंत की माने तो दुर्गा पूजा के दौरान नगर रक्षिका भ्रमण भी करती हैं। यहां के हवनकुंड में हजारों भक्त हवन करते हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि हवन कुंड से उठनेवाली ज्वाला शांत होने के बाद विभूति हवन कुंड में ही समाहित हो जाती है।
वर्ष 2019 में निगम की ओर से मकराना के संगमरमर से शक्तिपीठ के जीर्णोद्धार कार्य कराने की योजना बनी। 13 सितंबर 2019 को महापौर सीता साहू ने मंदिर के गर्भगृह के निर्माण के लिए शिलान्यास भी किए। सरकार द्वारा बिना योजना के मंजूरी देने तथा राशि आवंटित नहीं होने से निर्माण कार्य बाधित रह गया। सरकार से आस टूटने के बाद शक्तिपीठ के महंत विजय शंकर गिरि तथा महापौर सीता साहू ने जनसहयोग से कार्तिक पूर्णिमा पर जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया।
आपको बताते चले की महंत विजय शंकर गिरि ने बताया कि 51 फीट ऊंचे मंदिर में दो द्वार तथा छह गुंबद का निर्माण होगा। लगभग दो करोड़ की लागत से मंदिर से जुड़ी सड़क, लाइट तथा आसपास क्षेत्र का सौंदर्यीकरण होगा। महंत ने बताया कि मकराना संगमरमर पत्थर का रंग नहीं बदलता। मकराना संगमरमर का इस्तेमाल ताजमहल के निर्माण में हुआ है। महंत ने बताया कि सबकुछ ठीक रहा तो वर्ष 2021 के नवरात्र तक निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।