पुणे | व्हीएसआरएस न्यूज : हाल ही में छात्रों, उनके परिवारों और विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के बीच विवाद देखने को मिला। यह विवाद कोरोना वायरस काल में परीक्षाएं कराए जाने को लेकर है। छात्र और उनके परिवार नहीं चाहते हैं कि कोविड-19 महामारी के बीच उनके बच्चों की परीक्षाएं हों। विशेषज्ञ भी ऑनलाइन परीक्षाओं को लेकर चिंतित है। ऐसे में महाराष्ट्र के पुणे में एक अपवाद देखने को मिला। यहां के एक छात्र ने मुंबई के क्वारंटाइन सेंटर में खासी मशक्कत के बाद नेटवर्क खोजा और खड़े होकर क्लासेस अटेंड करता था। इसके अलावा काफी प्रयास के बाद वह क्वारंटाइन सेंटर से ही परीक्षा देने में सफल रहा।
21 वर्षीय छात्र पुणे के एक कॉलेज से आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर रहा है। उसके पिता कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे। उसका घर मुंबई में है। 10 सितंबर को उसे और उसके पूरे परिवार को संस्थान में क्वारंटाइन कर दिया गया था। उसने ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड कीं लेकिन परीक्षाओं के समय क्वारंटाइन होने से वह परेशान हो गया। उसे टेंशन थी कि उसकी पढ़ाई बर्बाद हो जाएगी वह परीक्षा नहीं दे पाया तो उसका सत्र पिछड़ जाएगा।
मुश्किल से ढूंढी एक खिड़की
छात्र ने बताया कि उसका घर वर्ली में है। उसके पिता ठेकेदार हैं और वह लोगों से मिलते रहते हैं। वह अपना लगातार टेस्ट करा रहे थे। पहले दो बार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई, तीसरी बार वह कोरोना पॉजिटिव हो गए। पिता के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पूरे परिवार का टेस्ट हुआ और उन्हें कोविड-19 केयर सेंटर भेज दिया गया। वहां पर प्रॉपर इंटरनेट कनेक्शन नहीं मिल पा रहा था। छात्र ने क्वारंटाइन सेंटर में नेटवर्क खोजना शुरू किया। उसे वहां एक खिड़की ऐसी मिली जहां उसे नेटवर्क मिल गया। उसने अपनी एक भी क्लास मिस नहीं की।
खड़े होकर अटेंड करता था क्लास
वह खिड़की के पास खड़ा होकर क्लास अटेंड करने लगा। इसी दौरान उसकी परीक्षाओं की तारीख आ गई। अब उसे टेंशन होने लगी कि अगर प्रॉपर नेटवर्क नहीं मिला तो उसकी परीक्षा छूट जाएगी। छात्र ने डॉक्टर से रिक्वेस्ट की कि उसे क्वारंटाइन सेंटर में ऐसी जगह जाने दें जहां उसे प्रॉपर नेटवर्क मिल सके लेकिन डॉक्टर ने उसे मना कर दिया।
छत पर परीक्षा के लिए की गई व्यवस्था
स्वास्थ्य वर्कर्स की मदद से वह नेटवर्क खोजने लगा। मरीज भी अपने मोबाइल से उसे नेटवर्क देने लगे। उसकी मदद करके स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने छत पर एक जगह ढूंढी जहां अच्छा नेटवर्क आता था। हालांकि वहां पर छात्र को बैठने की समस्या हुई। उसकी वर्कर्स ने मदद की और छत पर ही बैठने का प्रबंध किया। छात्र ने 15 से 17 सितंबर के बीच अपनी परीक्षा दी।