पटना| व्हीएसआरएस न्यूज: बिहार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एम-3 मॉडल ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर पटना हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई नहीं हो सकी। बुधवार को न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की बेंच में सुनवाई होनी थी, लेकिन यह भी टल गई। उधर, भारत निर्वाचन आयोग और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के बीच ईवीएम खरीद को लेकर होई कोर्ट की चेतावनी के बावजूद बैठक नहीं हुई। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार को हस्तक्षेप कर कोई विकल्प तलाशना होगा। अदालत का फैसला अगर राज्य निर्वाचन आयोग के पक्ष में भी आ जाता है तो भी समय पर चुनाव करा पाना अब संभव नहीं होगा। बिहार सरकार भी लगभग इस स्थिति के लिए तैयार हो चुकी है। पंचायती राज विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने की स्थिति में पंचायतों का कामकाज बाधित नहीं हो।
सिर्फ पुराने मैटर पर हुई सुनवाई
आगामी पंचायत के लिए ईवीएम मशीन की निर्बाध आपूर्ति के लिए बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से पटना हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है। उक्त याचिका से भारत के निर्वाचन आयोग से जारी 21 जुलाई 2020 के उस हिस्से को चुनौती दी गयी है, जिसके तहत हरेक राज्य के निर्वाचन आयोग के लिए ईवीएम /वीवीपैट मशीनों की आपूर्ति व डिजाइन के पहले भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी लेनी आवश्यक है।
पंचायत चुनाव में पहली बार ईवीएम के इस्तेमाल की तैयारी
मामला यह है कि 2021 में सूबे में हो रही पंचायती राज संस्थानों के चुनाव के लिए राज्य आयोग ईवीएम का इस्तेमाल करने जा रहा है। तीन- स्तरीय पंचायती राज चुनाव के लिए एक विशेष तकनीक युक्त ईवीएम मशीनों की जरूरत है, जिसे सिक्योर्ड डिटैचेबल मेमरी मॉड्यूल प्रणाली कहा जाता है। इस डिजाइन की ईवीएम आपूर्ति करने के लिए हैदराबाद स्थित निर्माता कंपनी ईसीआइएल भी आपूर्ति करने को तैयार है, किंतु भारत का निर्वाचन आयोग चुप्पी साधे हुए है। राज्य आयोग ने यह भी आरोप लगाया है कि उपरोक्त तकनीकी युक्त ईवीएम मशीनों के आपूर्ति की मंजूरी राजस्थान और छत्तीसगढ़ के पंचायती राज चुनाव के लिए खुद भारत के निर्वाचन आयोग ने मंजूरी दी थी, लेकिन बिहार के पंचायती चुनाव के मामले में भेदभाव बरता जा रहा है ।
ऑर्डर के बाद ईवीएम तैयार करने में लगेगा एक महीने का वक्त
आयोग ने ईवीएम सप्लाई के लिए जिस कंपनी का मॉडल तय किया है, उसे बनाने के लिए कम से कम एक महीने का समय चाहिए। राज्य में एक साथ छह श्रेणी के ढाई लाख पदों पर चुनाव कराने हैं। उसके अनुरूप ईवीएम को एसेंबल करने में समय की जरूरत होती है। इस हिसाब से मई का पहला हफ्ता पार कर जाएगा। नौ चरणों में चुनाव कराने के लिए सरकार को कम से कम दो महीने का वक्त चाहिए। ऐसे में 15 जून तक चुनाव संपन्न कराना आयोग के लिए आसान नहीं होगा।
हाईकोर्ट ने दिया था बातचीत से समाधान निकालने का निर्देश
आपको बताते चले कि पिछली सुनवाई पटना हाईकोर्ट ने दोनों आयोग को इस मसले पर बातचीत करके समाधान निकालने का निर्देश दिया था, लेकिन दोनों के बीच हुई बैठक में कोई रास्ता नहीं निकल सका। त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 15 जून को खत्म होने जा रहा है।
विधान परिषद चुनाव पर भी पड़ सकता है असर
हालांकि पंचायत चुनाव में देरी का असर बिहार विधान परिषद में स्थानीय निकाय कोटे की सीटों के लिए होने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है। दरअसल कुछ ही महीने में इन सीटों के लिए निर्वाचित विधान पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने वाला है। इन सीटों के लिए चुनाव में पंचायत चुनाव के निर्वाचित प्रतिनिधि ही मतदाता बनते हैं। अब 15 जून के बाद जब कोई पंचायत प्रतिनिधि ही नहीं रहेगा तो स्वभाविक है कि विधान परिषद का चुनाव भी टालना पड़ेगा। पूरा मामला फंसने से कई राजनीतिक दिग्गजों की सांस अटकने लगी है।