हमीरपुर । व्हीएसआरएस न्यूज़ : वर्तमान पंच वर्षीय योजना में कस्बे से जुडी आबादी की तीन ग्राम पंचायतों को नये परिसीमन के आधार पर नगर पालिका मे सम्मिलित कर दिया गया था।जिसके बाद उन तीनों ग्राम पंचायतों के चुनें हुए ग्राम प्रधानों की शक्ति भी समाप्त कर दी गई थी लेकिन उन्ही तीनों ग्राम पंचायतों में से फत्तेपुर ग्राम पंचायत में शामिल मजरा काछिन डेरा अधर मे लटक गया है और न तो उसे नगर पालिका मे ही शामिल किया गया है और न ही अभी तक किसी निकट वर्ती ग्राम पंचायत में ही शामिल किया गया है।जिससे लगभग आधा परिवारों और दो सौ से अधिक मतदाताओं के इस मजरे मे विकास कार्य अवरुध्द हो गए हैं। हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे से सात किलो मीटर दूर स्थित काछिन डेरा अपने अस्तित्व को लेकर परेशान है।
यहां के ढाई सौ के करीब मतदाता अपने जन्म सिद्ध अधिकार से वंचित होते दिखाई दे रहे हैं।क्योकिं आगामी चुनावों को देखते हुए मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का काम चल रहा अ।जबकि अभी तक उक्त मजरे के मतदाताओं को यह जानकारी नहीं हो सकी है कि आखिर वह किस ग्राम पंचायत में सम्मिलित हैं या नगर पालिका में,वहीं लगभग तीन साल से नगरपालिका मे सम्मिलित किये गये फत्तेपुर,रागौल और सिचौली पुरवा ग्राम पंचायतों के कारण काछिन डेरा को अधर मे लटका दिया गया है जिसके चलते इन तीन सालों से उक्त डेरा में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है।
उक्त मामले में प्राथमिक विद्यालय काछिन डेरा की प्रधानाचार्या हसीना बानो ने बताया कि डेरा को परिसीमन मे कहीं शामिल नहीं किए जाने के कारण उनके विद्यालय में मिशन कायाकल्प के तहत होने वाले विकास कार्य जैसे माडल शौचालय सहित अन्य विकास कार्य पूरी तरह से बाधित हैं।जबकि मिडडे मील के तहत राशन जरूर फत्तेपुर के कोटा से मिलता है लेकिन स्कूल की छत जर्जर है।और निर्माण कार्य ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है इस लिए विकास नहीं हो रहा है।इस सम्बंध मे बी.डी.ओ.मौदहा को भी पत्र लिखा जा चुका है।
जबकि उक्त मामले में ग्रामीण सीताराम ने बताया कि इस सम्बंध मे हमने कई बार तहसील दिवस प्रार्थना पत्र दिया है।लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका है।जबकि हमें किसी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है।बल्कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवानें मे सबसे अधिक कठिनाई होती है।जब से हमारे मजरे को अधर मे लटकाया गया है तब से हमारे यहां किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला है।
उक्त मामले में ग्रामीण रज्जन ने बताया कि सरकारी योजनाओं के लाभ की बात तो बहुत दूर है हमारे यहां सफाई तक नहीं होती है।पहले किसी बात के लिए ग्राम प्रधान से कह दिया जाता था लेकिन अब किससे कहें।हमें तो लगता है कि हमारा मजरा अब गुमनाम हो रहा है।
पंचवर्षीय योजना समाप्त होने को है और ग्राम पंचायतों के चुनाव अत्यधिक निकट हैं।यदि कोरोना काल नहीं होता तो अभी तक पंचायत चुनाव सम्पन्न हो चुके होते।ऐसे में किसी मजरे के साथ सरकारी कर्मचारियों द्वारा इस तरह का अन्याय कहां तक जायज है।उक्त गांव के लोगों ने बताया कि हमारे गांव को अभी तक कहीं शामिल नहीं किया गया है।अगर समय से सरकार द्वारा किसी पंचायत में शामिल कर दिया जाये तो हमारें मजरे मे भी चुनाव से पहले कुछ विकास हो सकता है।बाकी न तो यहां सडक है और न ही नालियां,इसके साथ ही पूरे मजरे को सरकारी लाभ की योजनाओं से वंचित रखना हमारे साथ अत्याचार है।