पटना| व्हीएसआरएस न्यूज: किसान आंदोलन के समर्थन में राजद के धरना की जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। दिल्ली के आसपास आंदोलित किसानों के समर्थन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आज बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में धरना देनेवाले थे। राजद की ओर से आज शनिवार (5 दिसंबर) को पटना के गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के पास सुबह 10 बजे से धरना कार्यक्रम था। किंतु जिला प्रशासन ने कार्यकर्ताओं को बाहर निकालकर गांधी मैदान सील कर दिया। जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। गांधी मैदान में राजद कार्यकर्ता जुटने लगे थे। सारी व्यवस्था कर ली गई थी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी समेत अन्य नेताओं के बैठने एवं माइक की व्यवथा की जा रही थी, तभी प्रशासन ने आकर रोक दिया।
मिली जानकारी में सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार ने बताया कि गांधी मैदान धरना स्थल नहीं है। धरना के लिए प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी। उधर,राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आरएसएस मोहन भागवत पटना आए हुए हैं, मगर किसानों के मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। वही अनुमति नहीं देने पर राजद के नेता और कार्यकर्ता गेट नंबर -4 के आगे ही दरी बिछाकर धरना पर बैठ गए और नारेबाजी कर रहे हैं। सूचना है कि कुछ ही देर में नेता प्रतपिक्ष तेजस्वी यादव भी यहां पहुंचेंगे। राजद नेता शक्ति यादव ने कहा कि नया कृषि कानून किसानों को बेवकूफ बनाने वाला और ठगने वाला है। नए कानून के कारण किसान को जमीन को गिरवी रखना पड़ेगा।
वही कल शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तेजस्वी ने कहा था कि किसानों को मेहनत की कमाई का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। नए कृषि कानून के जरिए उन किसानों को धोखा दिया जा रहा है, जिन्होंने राजग को क्योंकि इस कानून में सरकारी समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कृषि कानून को बदलने की मांग की है। तेजस्वी ने कहा कि हमारा विरोध जारी रहेगा और किसान विरोधी सरकार को हटाकर ही दम लेंगे। राजद नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानून के विरोध में बिहार के सभी जिलों में राजद ने प्रदर्शन किया। आगे भी करते रहेंगे।उन्होंने किसान संगठनों से अपील की है कि वे नए कानून के खिलाफ सड़कों पर आएं और आंदोलन को मजबूत करें। हरियाणा-पंजाब और यूपी के किसान आंदोलित है । केंद्र ने 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का वादा कर रखा है, मगर समझ से परे है कि एमएसपी को खत्म कर दिया जाएगा तो कैसे संभव है। हालाँकि तेजस्वी ने नए कृषि कानून को किसान विरोधी बताया और कहा कि यही एक क्षेत्र बच रहा था, जिसे भी निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। यह किसानों की बेहतरी के लिए नहीं, बल्कि बर्बादी के लिए है। कोरोना की आड़ में सबको तबाह किया जा रहा। लोक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है। किसानों को ठगा जा रहा है। उन्हें फसलों का सही मूल्य मिलना चाहिए। बड़ी संख्या में किसान कर्जदार हैं। आत्महत्या कर रहे हैं। बिहार का 70-80 फीसद लोग कृषि पर निर्भर हैं। कानून बनाने से पहले परामर्श कर लेना चाहिए था, जो नहीं हुआ। बिहार में कहीं भी धान की खरीद नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री भी झूठ बोल रहे हैं। दुसरे तरफ जगदानंद सिंह ने कहा कि सरकार कहती है कि पहले बिहार में खरीदारी नहीं होती थी। उन्हें मैं याद दिला देता हूं कि 1994 से ही खरीदारी हो रही है। तब लालू प्रसाद की सरकार थी। 12 वर्षों तक योजना चली है। राजग की सरकार आई तो 2006 में बिहार में मंडी व्यवस्था खत्म कर दी गई।
आपको बताते चले कि तेजस्वी पर पलटवार करते हुए प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव वैसे लोगों में शामिल हैं जो अकारण किसी विषय का विरोध करते हैं। कृषि कानून पर उन्हें बोलने का हक नहीं है क्योंकि उनके पिता तो किसानों के पशुओं का चारा ही खा गए थे। वह तो किसानों के मसले पर केवल घडिय़ाली आंसू ही बहा सकते हैं। वैसे भी तेजस्वी यादव न तो किसान रहे हैं और न ही किसानों की समस्या जानते हैं। संजय ने कहा कि किसानों की समस्या से जुड़े मसले को लेकर तेजस्वी यादव के दल का विरोध प्रदर्शन उनकी अज्ञानता बताता है। किसानों की सुविधा को लेकर 2006 से व्यवस्था बिहार में लागू है। तेजस्वी यादव तो नीतीश कुमार की सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकार के काम की उन्हें थोड़ी भी जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो यह भी कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल से किसानों को फसल खरीद में कोई परेशानी नहीं होगी।