मीरगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: पिछले दिनों से मीरगंज शहर के भारतीय स्टेट बैंक के बगल में पड़ा वृद्ध मौत से संघर्ष करते करते आखिरकार मंगलवार को दम तोड़ दिया। कोरोना के डर से संवेदनहीन बना प्रशासन और पत्थर दिल बने स्थानीय लोग आखिरकार मरने के बाद पुलिस विभाग को खबर कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। सूचना के बावजूद स्थानीय पुलिस उसे अस्पताल तक भर्ती कराना उचित नहीं समझी और लावारिस वृद्ध आखिरकार चल बसा।
मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना के बारे में बताया जाता है कि 3 दिन पहले से एक वृद्ध व्यक्ति शहर के मुख्य सड़क पर गिर पड़ा था और उसके बाद वह अर्ध बेहोशी की हालत में वहीं पड़ा रहा। इस बीच हजारों लोगों की नजर उस पर पड़ी पर किसी ने भी मानवता दिखाने की कष्ट नहीं उठाया। आखिरकार वह वृद्ध मंगलवार के अपराहन चल बसा।
इस बीच शहर के कुछ लोगों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को फोन कर मामले के बारे में बताया भी था पर स्थानीय प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया क्योंकि उन्हें उसे कोरोना से ग्रस्त होने का अंदेशा था। मरने के बाद स्थानीय पुलिस की तरफ से एक महिला ऑफिसर वृद्ध का शव देखने आई और फिर वापस चली गई। मरने के बाद स्थानीय प्रशासन भी जाग उठा और आनन-फानन में उसे सफाई कर्मियों के द्वारा अंतिम संस्कार करने की तैयारी शुरू कर दी गई।
आखिरकार मृतक की सच्चाई आई सामने।
मरने के बाद संयोग से मृतक की पहचान से स्पष्ट हो गया कि इंसान अपने लालच में कितना हद तक गिर सकता है। दरअसल घटना के बाद जमा भीड़ में ओटनीपट्टी गांव से आया एक व्यक्ति ने पहचान किया कि मृतक उसके गांव का लाल मुनी चौधरी है। पूछताछ में मामले में जानकारी मिली की उक्त मृतक पत्नी के गुजर जाने के बाद अपने भाई के साथ गांव में ही रहता था और उसकी कोई संतान नहीं थी।
इस बीच उसके सगे भाई ने उसकी सारी जमीन अपने नाम लिखवा ली और बाद में उसे दर-दर भटकने के लिए लावारिस छोड़ दिया गया। मामले की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय लोगों के पहल पर उसके परिजनों को सूचना भेजी गई हैं और घटनास्थल पर उसके परिजनों का आने का इंतजार किया जा रहा था।