उचकागांव। व्हीएसआरएस संवाददाता: स्थानीय थाने के मकसुदपुर गांव में गंडक नहर के किनारे बसे दलितों की बस्ती को आग ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया। शनिवार की दोपहर अचानक लगी आग ने करीब तीस से अधिक आवासीय झोपड़ियों को जला कर राख कर दिया। इसमें करीब पांच लाख रूपए की संपत्ति जली है। अगलगी में दो दुधारू गाय तथा डेढ़ दर्जन बकरियां जल कर मर गई। अगलगी के बाद दलित बस्ती में कोहराम मच गया। अग्नि पीड़ितों में राजेन्द्र राम,रूदल राम,मुकेश राम,देवीलाल राम,सबीर राम,बलिस्टर राम,सुजीत राम,सुदर्शन राम,अमरनाथ राम,संतोष राम,जंगी राम,महान राम,गोविन्द राम,राजेश चौधरी,बबुंती देवी,रितू राम,किसान राम,वृजन राम,रविन्द्र राम,नंदकिशोर राम,हरेन्द्र राम,बलिराम राम आदि शामिल है।
मिली जानकारी अनुसार आज शनिवार की दोपहर एक बजे के करीब दलित बस्ती के राजेन्द्र राम की झोपड़ी में अचानक आग लग गई। अभी लोग कुछ समझ पाते तब तक आग ने कई झोपड़ियों को अपने आगोश में ले लिया। देखते ही देखते करीब ढाई दर्जन झोपड़ियां जल कर खाक हो गई। इसमें दो गाय व डेढ़ दर्जन बकरियां जल कर मर गई। कपड़ा,अनाज,नकद राशि,सामान सहित कई चीजें जल कर नष्ट हो गई। आग की सूचना पर अग्निशमन की दो गाड़ियां मौके पर पहुंची। उसके बाद अग्नि शमन के कर्मियों ने किसी तरह आग पर काबू पाया।
इसके पहले स्थानीय लोगों ने अपने स्तर से आग को बुझाने का प्रयास किया। बाद में सूचना पर उचकागांव सीओ रवीश कुमार पुलिस बल के साथ पहुंचे। जहां आग से हुए नुकसान का जायजा लिया। साथ ही पीड़ितों से मिलकर उनके हालात को जाना। सीओ ने पीड़ितों को तत्काल राहत दिलाने के लिए राजस्व कर्मी को निर्देश दिए। इधर,परसौनी खास पंचायत के मुखिया मोहन लाल प्रसाद तथा भाजपा मंडल अध्यक्ष कृष्णा तिवारी ने मौके पर पहुंच कर पीड़ित परिवारों से मिला और अपने स्तर से राहत देने का काम किया।
दो परिवारों में चल रही थी शादी की तैयारी : मकसूदपुर गांव में आग ने दो परिवारों की आने वाली खुशियों को मातम में बदल दिया है। अग्नि पीड़ितों में विश्वनाथ राम व हरेन्द्र राम भी शामिल है जिनके घर शादी की तैयारी चल रही थी। लेकिन आग ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
हरेन्द्र राम के पुत्र दहारी राम तथा विश्वनाथ राम की पुत्री रजांती कुमारी की शादी तय थी जो अगले माह में होने वाला था। इन दोनों परिवारों में शादी को लेकर तैयारी की जा रही थी कि अचानक आग ने सब कुछ तबाह कर दिया। इन दोनों परिवारों के कई सपने भी जल गए। विश्वनाथ राम को अब यह चिंता सताने लगी है कि उसकी बेटी के हाथ पीले कैसे होंगे? दोनों परिवारों में मातम जैसा माहौल बना हुआ है।