दिल्ली| व्हीएसआरएस न्यूज: भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। कोरोना के पीड़ित के निधन की खबर से पूरे देश में शोक का लहर है। कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले कुछ दिनों में उनकी तबीयत में सुधार हुई थी लेकिन अचानक से ऑक्सीजन का स्तर कम होने के बाद उनको सांस लेने में तकलीफ हुई और देर रात इस महान हस्ति के निधन की खबर आई। 91 साल की उम्र में ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह ने चंडीगढ़ के एक PGI अस्पताल में अंतिम सांस ले ली है| इसी हफ्ते उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह ने भी कोविड से लड़ाई में दम तोड़ दिया था| फ्लाइंग सिख मिल्खा के निधन की खबर ने पूरे देश को दुखी किया है
पीटीआइ के मुताबिक शुक्रवार रात 11 बजकर 30 मिनट पर मिल्खा सिंह ने आखिरी सांस ली। 91 साल के मिल्खा 17 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। भारत के इस महान धावक को दुनियाभर में फ्लाइंग सिख के नाम से जाना जाता है। भारत के लिए कॉमनवेल्थ में सबसे पहला गोल्ड मेडल जीतने का कमाल मिल्खा जी ने ही किया था। इसके अलावा एशियन गेम्स में इस महान धावक के नाम चार गोल्ड मेडल भी थे। ओलंपिक में भारत की तरफ से कांस्य पदक जीतने से चूके मिल्खा को भारत के सबसे महान और चमकदार एथलीट के तौर पर जाना जाता है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह के बेहतर स्वास्थ की कामना की थी। उन्होंने कहा था कि ओलंपिक जाने वाली टीम के आपके आशीर्वाद की जरूरत है। शुक्रवार देर रात पीएम ने इस महान हस्ति के निधन की खबर पर शोक जताया और परिवार को इस मुश्किल वक्त में हिम्मत बनाए रखने की बात कही।
आपको बताते चले की पाकिस्तान के गोविंदपुरा में जन्मे मिल्खा सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा। बचपन में ही भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द और अपनों को खोने का गम उन्हें उम्र भर सालता रहा। बंटवारे के दौरान ट्रेन की महिला बोगी में सीट के नीचे छिपकर दिल्ली पहुंचने, शरणार्थी शिविर में रहने और ढाबों पर बर्तन साफ कर उन्होंने जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश की।
फिर सेना में भर्ती होकर एक धावक के रूप में पहचान बनाई। अपनी 80 अंतरराष्ट्रीय दौड़ों में उन्होंने 77 दौड़ें जीतीं लेकिन रोम ओलंपिक का मेडल हाथ से जाने का गम उन्हें जीवन भर रहा। उनकी आखिरी इच्छा थी कि वह अपने जीते जी किसी भारतीय खिलाड़ी के हाथों में ओलंपिक मेडल देखें लेकिन अफसोस उनकी अंतिम इच्छा उनके जीते जी पूरी न हो सकी। हालांकि मिल्खा सिंह की हर उपलब्धि इतिहास में दर्ज रहेगी और वह हमेशा हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे।