Pcmc पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी राजनीतिक आरक्षण को लेकर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया है,ऐसे में अगले मनपा के चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने होंगे। इसलिए पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से 38 उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया जाएगा। पिंपरी-चिंचवडकर को अब 114 सीटों के लिए ओपन कैटेगरी से जनप्रतिनिधि चुनना होगा। ओबीसी आरक्षण खारिज होने का सबसे बड़ा झटका कुनबी-माली समुदाय को लगा। 2017 के मनपा चुनाव में ओबीसी वर्ग से 35 लोग चुने गए थे। इसमें ज्यादातर बीजेपी नगरसेवक शामिल हैं।
पिंपरी-चिंचवड़ मनपा के आगामी आम चुनाव में तीन सदस्यों वाले 45 वार्ड और एक-एक सदस्य वाले 46 वार्ड हैं। 139 नगरसेवकों में से 69 पुरुष और 70 महिलाएं होंगी। 139 नगरसेवकों में से 3 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 22 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित होंगी। ओबीसी आरक्षण मिलता तो 38 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होतीं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण ओबीसी वर्ग के 38 उम्मीदवारों को अवसर से वंचित कर दिया गया है।
114 सीटों पर ओपन कैटेगरी उम्मीदवारों का निर्वाचन
मनपा के 2017 के चुनाव में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 35 सीटें आरक्षित थीं। भाजपा के स्वाइनल म्हेत्रे,अश्विनी जाधव,नितिन कलजे,सुवर्णा बर्दे,हीराबाई घुले,सागर गवली,सारिका लांडगे,संतोष लोंढे, नम्रता लोंढे,केशव घोलवे,योगिता नागरगोजे,उत्तम केंडले,नामदेव ढाके,सुरेश भोईर,संदीप वाघेरे अर्चना,जयश्री गावड़े,तुषार कामठेे,सविता खुले,शत्रुघ्न कटे,शशिकांत कदम,आशा धायगुड़े ओबीसी वर्ग से शारदा सोनवणे,राकांपा के राहुल भोसले,प्रवीण भालेकर,पूर्णिमा सोनवणे,दिवंगत जावेद शेख,राजू मिसाल,प्रज्ञा खानोलकर,अपर्णा डोके,शाम लांडे,विनोद नढे,शिवसेना की रेखा दर्शीले,निर्दलीय झामाबाई बारणे और 35 अन्य नगरसेवक चुने गए। इसमें अधिकांश कुनबी समाज से शामिल हैं,इसके बाद माली समुदाय के जन प्रतिनिधि शामिल हैं। उन्हें अब ओपन कैटेगरी में लड़ना होगा क्योंकि उन्हें ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा। हालांकि खुली श्रेणी से चुनाव लड़ना और जीतना कठिन और चुनौतीपूर्ण होगा।
पिंपरी-चिंचवड़ शहर के कुछ हिस्सों में,कुनबी और माली समुदाय प्रमुख है। इसलिए उनके लिए ओपन कैटेगरी से चुनाव लड़ना नामुमकिन नहीं है। हालांकि उन्हें निर्वाचित होने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी। हालांकि कुनबी और माली के अलावा अन्य जाति नगरसेवकों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय राजनीतिक गणित,रिश्तेदारी,मानव-धन-मांसपेशियों की शक्ति को दूर करना कठिन माना जाता है। ओबीसी आरक्षण नहीं होने के कारण ओपन कैटेगरी से 114 सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। इसलिए कई मौजूदा नगरसेवकों के आमने-सामने आने की संभावना है। पहले रिश्तेदारों को आमने-सामने आने से रोका जाता था। एक ओपन कैटेगरी में और दूसरा ओबीसी में लड़ रहा था। इसलिए आमने सामने नहीं आ रहा था। अब जबकि ओबीसी आरक्षण नहीं है,कई मौजूदा नगरसेवक सर्वसाधारण सीटों से चुनाव लडेंगे अथवा चुनाव लडने से वंचित रह जाएंगे।