Mumbai मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्य पुलिस बल में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा में तबादलों और पदोन्नति के आदेश जारी किए। हालांकि 12 घंटे के भीतर इनमें से पांच अधिकारियों का तबादला गृह मंत्रालय ने स्थगित किया है। मुंबई के पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपायुक्त सहित पांच आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया गया था। इन सभी तबादला को स्थगन आदेश दिया गया है। गृह मंत्रालय के इस फैसले ने चर्चाओं को हवा दे दी है और सवाल यह है कि आखिर हुआ क्या है कि इस फैसले को वापस लेना पड़ा।
राजेंद्र माने राज्य के खुफिया विभाग में उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे और उन्हें ठाणे शहर में पूर्वी क्षेत्रीय डिवीजन में अपर पुलिस आयुक्त के रूप में पदोन्नत किया गया था। महेश पाटिल को पुलिस उपायुक्त के पद से मुंबई यातायात विभाग में अपर पुलिस आयुक्त के पद पर पदोन्नत किया गया था। संजय जाधव पुणे में राजमार्ग सुरक्षा दस्ते में पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। उन्हें ठाणे में अपर पुलिस आयुक्त (प्रशासन) के रूप में पदोन्नत किया गया था। पंजाबराव उगाले को रिश्वत रोकथाम विभाग से मुंबई में अपर पुलिस आयुक्त (सशस्त्र पुलिस) के पद पर पदोन्नत किया गया था। दत्तात्रेय शिंदे को पालघर में पुलिस अधीक्षक के पद से मुंबई में अपर पुलिस आयुक्त (रक्षा और सुरक्षा) के पद पर पदोन्नत किया गया था।
कौन हैं वो अधिकारी?
गृह मंत्रालय ने राजेंद्र माने, महेश पाटिल, संजय जाधव, पंजाबराव उगले और दत्तात्रेय शिंदे का तबादले पर रोक लगा दिया है। पत्र में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अगले आदेश तक स्थगन की अनुमति दी गई है।
सरकार ने तबादलों में भ्रष्टाचार का खुलासा किया
उन्होंने कहा यह सरकार बदले का खेल खेल रही है। इस सरकार का भ्रष्टाचार उजागर हो गया है। आयपीएस अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बाद किए जाते हैं, उसके बाद गृहमंत्री के हस्ताक्षर होते हैं। अब इसे 12 घंटे के भीतर स्थगन आदेश जारी किया गया है। सरकार को यह बताना चाहिए कि स्थगन क्यों दिया गया,भाजपा नेता अतुल भाटखलकर ने ऐसी मांग की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली बार जो हुआ उसका यह एक छोटा संस्करण है। पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है कि भ्रष्टाचार अतीत में हुआ है। उसके पास सीडी है, पेन ड्राइव है। इसलिए रश्मि शुक्ला को इतना परेशान किया जा रहा है। यह सरकार है जो गुंडों, ठगों और भ्रष्टाचार का समर्थन करती है। इसलिए हम मांग करते हैं कि इसकी गहन जांच होनी चाहिए।