पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) राज्य समेत देश भर में चीनी के अधिक उत्पादन और इतनी मात्रा में चीनी की मांग नहीं होने से चीनी उद्योग को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र सबसे ज्यादा चीनी उत्पाद वाला राज्य है। आज चीनी मील मालिक खपत नहीं होने और ज्यादा स्टॉक रहने के कारण संकट में पड गए है। अतिरिक्त चीनी निर्यात करने का एकमात्र व्यवहार्य तरीका उपलब्ध है। हालांकि इस साल 60 लाख टन चीनी का निर्यात करने का फैसला किया गया है और अभी तक कोई पहल दिखाई नहीं दे रही है। दुनिया के प्रमुख चीनी उत्पादकों में से एक भारत ने अतिरिक्त चीनी निर्यात के बारे में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से शिकायत की है। इसने कहा कि भारत चीनी उत्पादन की लागत को देखते हुए निर्यात पर सब्सिडी दे रहा है। लेकिन चीनी निर्यात को सब्सिडी देने वाले केंद्र से निर्यात कोटा बढ़ाने की संभावना कम है। केंद्र सरकार निर्यात चीनी पर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देती है। चीनी को कम कीमत पर विदेशों में निर्यात करना पड़ता है।
देश को हर साल 200 लाख टन चीनी की जरूरत होती है,जबकि महाराष्ट्र को 35 लाख टन की जरूरत होती है। हालांकि,इस साल देश ने 300 लाख टन से ज्यादा चीनी का उत्पादन किया है। महाराष्ट्र का हिस्सा 106 लाख टन है। बेमौसम बारिश के चलते राज्य में किसान अंगूर,अनार और सोयाबीन की जगह गन्ने की ओर रुख कर रहे हैं। गन्ना एक आकर्षक फसल होने के कारण किसानों का रुझान इसकी ओर अधिक है। इस पृष्ठभूमि में देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए बची हुई चीनी का क्या किया जाना चाहिए? चीनी उद्योग के सामने यह सबसे बड़ा सवाल है। इस बारे में चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा वर्तमान में उपलब्ध एकमात्र उपाय शेष चीनी का निर्यात और अधिक इथेनॉल का उत्पादन करना है। एथेनॉल उत्पादन के लिए एक डिस्टिलरी स्थापित करने में एक से डेढ़ साल का समय लगता है। साथ ही पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की मात्रा फिलहाल दस फीसदी तय की गई है। निकट भविष्य में इसे बढ़ाया जाएगा।
वास्तव में समस्या क्या है? ब्राजील,ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से शिकायत की है कि चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी के कारण वैश्विक बाजार में भारत की चीनी अधिक हो रही है। चीनी आयुक्तालय ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में इस साल चीनी निर्यात कोटा बढ़कर 60 लाख टन होने की संभावना नहीं है। केंद्र ने इस साल देश में कारखानों को 60 लाख टन चीनी निर्यात कोटा आवंटित किया था। सहमत कोटा समझौतों पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इसलिए इस कोटे को बढ़ाने की मांग की जा रही है। प्रयास चल रहे हैं।