मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पडने लगी है। तीसरी लहर को लेकर लोगों में डर का माहौल है। यह डर केवल आम जनता में नहीं बल्कि महाराष्ट्र के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों में भी दिखाई पड रही है। कैदी रिहाई के बाद भी जेल में रहना पसंद कर रहे है। इसके दो कारण बताए जा रहे है। जेल से बाहर निकलने पर कोरोना का डर और भूख का डर बना है।
कैदी इमरजंसी पैरोल के लिए आवेदन करने से बच रहे है। वे चाहते हैं कि उनकी पूर्ण रिहाई हो,तब तक वे जेल में रहेंगे। कैदी इस बात की चिंता कर रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान बाहर आने पर पेट कैसे पालेंगे। कठिन समय में वे परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहते। दूसरी ओर परिवार वाले कैदियों को ऐसी हालत में अपनाने को तैयार नहीं। मुंबई हाईकोर्ट ने निर्देश दिए है कि किसी भी कैदी को उसकी इच्छा के बिना इमरजेंसी पैरोल पर रिहाई के लिए मजबुर नहीं किया जा सकता। कुछ कैदी बाहर आकर नौकरी ढूंढ रहे है लेकिन न मिलने से आर्थिक तंगी से गुजर रहे है। परिवारजन अपराध और कोरोना के डर से गांवों या घरों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहे।
पिछले साल सुप्रिम कोर्ट ने 10 हजार कैदियों को इमरजेंसी पैरोल और अस्थायी जमानत पर रिहा किया। दूसरी लहर के दौरान 68 कैदियों को रिहा किया गया। कुछ कैदी भूखमरी से बचने के लिए खुद सरेंडर कर रहे है। जेल में रहते अब तक 4049 कैदी 912 जेल कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके है।