Mumbai News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) त्योहारों का मौसम इन दिनों चल रहा है। रैलियां हो रही हैं और कुछ महीने बाद बीएमसी चुनाव भी होने हैं। हर वक्त पूरे शहर में कभी यहां, तो कभी वहां बंदोबस्त का टेंशन रहता ही रहता है। इस वजह से मुंबई पुलिस कर्मी भी जबरदस्त मेंटल स्ट्रेस में रहते हैं- खासतौर से सिपाही। इसका उनकी हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। एनबीटी ने मुंबई पुलिस में कुछ अलग-अलग लोगों से बात की। उनका कहना है कि मुंबई पुलिस में औसतन 40 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह की मेडिसिन लेते ही हैं। इसी मेंटल स्ट्रेस की वजह से किसी को ब्लड शुगर है, तो किसी को अन्य तरह की और बीमारियां।
परिवार के लिए वक्त नहीं मिलता,बच्चों की परवरिश नहीं कर सकते
एक सिपाही ने कहा कि हम लोगों के साथ दिक्कत है कि हम लोग ठीक से सो नहीं पाते। जब जगते हैं, तो फिर ड्यूटी पर भागते हैं। परिवार के लिए हमारे पास वक्त नहीं है। जब वक्त नहीं है, तो बच्चों की परवरिश नहीं कर पाते। बच्चों को लेकर जो और लोग बड़े-बड़े सपने देखते हैं, वह हम लोग नहीं देख पाते, क्योंकि हमारे पास बच्चों के लिए वक्त नहीं है। इस वजह से काम के अलावा बाद में हमारा परिवार को लेकर स्ट्रेस बढ़ जाता है।
सिपाहियों के लिए 8 घंटे की ड्यूटी का प्रॉजेक्ट
जब दत्ता पडसलगीकर मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे, तो पुलिस सिपाही रवींद्र पाटील ने सिपाहियों के लिए 8 घंटे की ड्यूटी का प्रॉजेक्ट बनाकर पडसलगीकर को सौंपा था। उन्होंने इस प्रॉजेक्ट को हरी झंडी दे दी। कुछ साल तक सिपाहियों के लिए आठ घंटे की ड्यूटी लागू भी हुई। फिर कोरोना शुरू हो गया और 8 घंटे की ड्यूटी फिर से 12 घंटे की हो गई।
जब संजय पांडेय मुंबई के पुलिस कमिश्नर बने, तो उन्होंने आठ घंटे की ड्यूटी को फिर लागू करने का फैसला किया, पर मुंबई पुलिस के एक सिपाही का दावा है कि मुंबई के 50 प्रतिशत से ज्यादा पुलिस स्टेशनों में अब भी 12 घंटे की ड्यूटी चल रही है। सिपाही को घर पहुंचने और घर से पुलिस स्टेशन आने में भी दो से तीन घंटे लग ही जाते हैं। इसीलिए सात घंटे की जरूरी नींद वह कभी पूरी नहीं कर पाता।
क्राइम ब्रांच में राहत है
एक पुलिस सिपाही के अनुसार, क्राइम ब्रांच में थोड़ी राहत है। वहां आठ से दस घंटे से ज्यादा की ड्यूटी नहीं होती। सीनियर इंस्पेक्टर सुबह 11 बजे तक आता है और शाम को 7 या अधिक से अधिक आठ बजे तक घर चला जाता है। उसके साथ ही ज्यादातर स्टाफ चला जाता है। सिर्फ दो-तीन सिपाही ही नाइट ड्यूटी में रहते हैं। क्राइम ब्रांच का मूल काम इन्वेस्टिगेशन का है, जबकि पुलिस स्टेशन में इन्वेस्टिगेशन के साथ लॉ ऐंड ऑर्डर भी देखना होता है।
8 हजार कर्मियों की कमी
मुंबई पुलिस की सरकार द्वारा मंजूर संख्या 46212 है, लेकिन फरवरी, 2022 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले ने बताया था कि उस वक्त मुंबई पुलिस के पास 37465 ही कर्मी थे। यानी कुल 8747 कर्मियों की कमी थी। इन आठ महीनों में भी काफी पुलिस वाले रिटायर हुए हैं, लेकिन उनकी जगह अब भी भर्तियां नहीं हुई हैं। स्वाभाविक है, कम फोर्स होने की वजह से काम कर रहे पुलिसकर्मियों पर ज्यादा लोड पड़ रहा है। इस वजह से भी वह ज्यादा मेंटल स्ट्रेस में रहते हैं।