पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे,पिंपरी-चिंचवड़ शहर में मरीजों की संख्या नियंत्रण में आ गई है और ग्रामीण इलाकों में मरीजों की संख्या में भी गिरावट आ रही है। इसके चलते शहर समेत जिले में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग घटकर 200 मीट्रिक टन रह गई है। इसलिए जिला प्रशासन ने गुरुवार को औद्योगिक उद्देश्यों के लिए 20% ऑक्सीजन के उपयोग की अनुमति दी। चौपहिया स्पेयर पार्ट्स और स्टील इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है। तद्नुसार संयुक्त निदेशक उद्योग कार्यालय के कार्यालय ने जिला प्रशासन से उद्योगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था। ऑक्सीजन उत्पादक कंपनियों को पूरी क्षमता से ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन करना चाहिए।
उत्पादित ऑक्सीजन का लगभग 80% चिकित्सा प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए और अस्पतालों को आपूर्ति की जानी चाहिए। शेष 20% ऑक्सीजन का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में प्राथमिकता दी जानी चाहिए,इसके बाद औद्योगिक उद्देश्यों के लिए आपूर्ति की जानी चाहिए। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर में शहर समेत जिले में ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ गई थी। अप्रैल मही
ने में सबसे ज्यादा 420 टन ऑक्सीजन की मांग थी। इसलिए उद्योग जगत की ओर से ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल करने की मांग की गई थी। पुणे जिले में अपर्याप्त उत्पादन के कारण बेल्लारी और जामनगर से पुणे को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर दी गई है।
नायडू अस्पताल 1850,दलवी अस्पताल 850,बाणेर डेडिकेटेड कोरोना अस्पताल 1000 और लैगुडे अस्पताल 250 में कुल 3950 लीटर प्रति मिनट की क्षमता बनाई गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में औंध जिला अस्पताल में कुल क्षमता 100,वडगांव मावल और चंदोली ग्रामीण अस्पताल 500 प्रत्येक,मंचर
उप-जिला अस्पताल और हिंजेवाड़ी जिला परिषद करोना अस्पताल 500 प्रत्येक की कुल क्षमता 2100 लीटर प्रति मिनट है। इस प्रकार शहर सहित जिले में कुल 6050 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाली परियोजनाओं को क्रियान्वित किया गया है। पुणे में 6783,पिंपरी-चिंचवड़ में 6560 और ग्रामीण क्षेत्रों में 12 हजार 900 की कुल क्षमता 26 हजार 243 लीटर प्रति मिनट है। इसलिए आने वाले समय में जिले में ऑक्सीजन उत्पादन कंपनियों से ऑक्सीजन की मांग में और कमी आएगी।
पिंपरी-चिंचवड़ और ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की घटती संख्या के बावजूद उद्योगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो रही थी। औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई थी। राज्य सरकार ने अनुमति देने के बाद गुरुवार से ऑक्सीजन उद्योग को 20 फीसदी देने के आदेश दिए हैं। जिला प्रशासन ने 140 सिलेंडर यानी दो मेसर्स उपलब्ध कराए हैं। टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही थी। इस फैसले से सैकड़ों छोटे और मझोले उद्यमों को अपनी परियोजनाएं शुरू करने में मदद मिलेगी। आपूर्ति श्रृंखलाओं के कार्य में सुधार से रोजगार का सृजन होगा। कोरोना की स्थिति में सुधार के बाद प्रशासन द्वारा उद्योगों की आपूर्ति सुचारू की जा सकती है। दुर्भाग्य से यदि फिर से आवश्यकता हुई, तो उद्योग द्वारा चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति को प्राथमिकता दी जाएगी।