पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर हत्यारे गोडसे को याद करना स्वभाविक है। आज के ही दिन गोडसे ने बापू की हत्या की। हत्या के बाद फांसी चढने के पहले नाथूराम गोडसे ने एक वसीहत तैयार की थी जो आज भी अधूरी है। अंतिम इच्छा थी कि उनकी राख को सिंधु नदी में विसर्जित किया जाए।
यह वसीहत पत्र गोडसे ने 14 नवंबर 1949 को फांसी से ठीक पहले तैयार करके छोटे भ्राता दत्तात्रय विनायक गोडसे के नाम जेल से लिखा था। भाई गोपाल गोडसे ने अपनी किताब में गांधी,वध और मैं नाम से प्रकाशित किया। नाथूराम गोडसे ने अपनी बीमा के पैसों को भाई दत्तात्रय,पत्नी और दूसरे भाई की पत्नी को देने की इच्छा जतायी थी। अंतिम संस्कार का सारा अधिकार दत्तात्रय गोडसे को सौंपा था।
पुणे के शिवाजनगर के अजिंक्य डेव्हलपर्स के ऑफिस में आज भी कांच के अंदर अस्थियां संभाल कर रखी है। कुछ कपडे और हाथ से लिखे पत्र भी है।पोते अजिंक्य गोडसे ने कहा है कि उनके दादा की अंतिम इच्छा पूरी होगी और सिंधू नदी में अस्थियां विसर्जन की जाएगी।
टेलरिंग का काम करता था नाथूराम
नाथूराम गोडसे अखबार दैनिक अग्रणी-जो बाद में हिंदू राष्ट्र हो गया के संपादक थे। अजिंक्य के मुताबिक, नाथूराम गोडसे संपादक से पहले एक टेलर था और वे आरएसएस की वर्दियां सिलने का काम करता था। इस कारण गिरफ्तारी के बाद उनका संबंध आरएसएस से भी जोड़ने का प्रयास किया गया था। उसके पास उस जमाने में एक कार भी हुआ करती थी।