पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने पदभार संभालते ही कई साहसी भरे निर्णय लिए। सबसे पहले शहर के सभी अवैध धंधों को बंद करने का फरमान जारी किया। जिसका असर धरातल पर दिखाई दे रहा है। इसके बाद सामाजिक सुरक्षा पथक का गठन करके सामाजिक अपराधों पर नकेल डालने का काम किया। फिर पुलिस संख्याबल की कमतरता को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को अपने परिसर में पहरेदारी करने की शर्त पर राइफल का लाइसेंस देने का निर्णय लिया। साथ ही पुलिस स्टेशन के थानेदारों से हथियार समेत अन्य लाइसेंस रद्द करने अथवा मंजूर करने के अधिकार से वंचित करने का प्रशंसनीय काम किया। लाइसेंस मंजूर करने के लिए मोटी रकम का चढावा चढता था। जिसने चढावा चढाया उसके लाइसेंस मंजूर जिसने नहीं चढाया उसका लाइसेंस रद्द। पुलिस आयुक्त ने सभी पुलिस थानों को पत्र भेजकर निर्देश दिए है कि संबंधित व्यक्ति के बारे में जांच पडताल करके रिपोर्ट तैयार करो और मुख्यालय भेजो। लाइसेंस देने न देने का अधिकार आयुक्त के पास रिजर्व है।
पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने पटरी पर उतरे पुलिस महकमे के सिस्टम,कार्यप्रणाली को सबसे पहले बदलने का काम किया। किसी विभाग का मुखिया अगर कार्यक्षम,ईमानदार होगा तो नीचे की टीम भी उसी प्रवाह की धारा में काम करती है। कमिश्नर ने स्टडी के बाद पाया कि जमीन विवाद मामले में बिल्डर,पूंजिपति अपने आर्थिक फायदे के लिए पुलिस से सांठगांठ करके डराते धमकाते है,नहीं मानने पर अपराध पंजिकृत कराते है। ऐसे मामलों में आर्थिक व्यवहार होता है। चिखली पुलिस स्टेशन में कार्यरत उपनिरिक्षक सोलापुरे को फ्लैट विक्री का पैसे दिलाने के मामले में रिश्वत लेते एन्टी करप्शन ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। आजतक निलंबित है। कई पुलिस स्टेशनों में जमींन के कई विवादित मामले उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। हाल ही में एक पुलिस कर्मचारी ने पत्र लिखकर अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर जमीन के मामले में पैसे लेकर अथवा ठेका लेकर मामले रफादफा कराने का आरोप लगाया था। ऐसे कई मामले कमिश्नर के संज्ञान में आया कि पुलिस सुविधा अनुसार बेवजह जमीन विवाद मसले में मध्यस्था की भूमिका निभाती है।
कमिश्नर ने एक और साहसी भरा निर्णय लेते हुए सभी पुलिस थानों के थानेदारों के अधिकारों पर कैंची चलाते हुए जमींन विवाद मामले में हस्तक्षेप करने के अधिकारों से वंचित कर दिया है। अब जमीन से जुडे विवादित मसले उपायुक्त देखेंगे। पुलिस निरिक्षक जमीन विवाद मामले में रिपोर्ट तैयार करके एसीपी के माध्यम से डीसीपी के पास भेजेंगे। अगर जरुरत पडेगी तो उपायुक्त के आदेशानुसार मामले दर्ज होंगे और उनकी देखरेख में कार्रवाई की जाएगी। कृष्ण प्रकाश के ऐसे कई प्रशंसा योग्य निर्णय लेने से पुलिस वालों की आर्थिक गणित बिगडने लगी है। ऐसे निर्णयों से भले ही पुलिस महकमों में खलबली मची हो लेकिन भविष्यकाल में भ्रष्टाचार,मनमानी पर अंकुश लगाने का सटीक सोंटा साबित होगा।