पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा के ब्लैक लिस्टेड 18 ठेकेदारों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। गलती की माफी किसी को नहीं। ठेकेदारों ने गलती की,मनपा को धोखे में रखकर फंसाने का काम किया। फर्जी बोगस बैंक गारंटी के दम पर पालिका से ठेका लेकर आर्थिक लाभ लिया। यह प्रकरण सबसे पहले चिंचवड के भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप ने बाहर निकाला। उन्होंने ही आयुक्त ़श्रावण हर्डीकार को पत्र देकर फर्जी एफडीआर वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई की मांग की। महेश लांडगे ने कहा लक्ष्मण जगताप की मांग को समर्थन करता हूं और कार्रवाई होनी चाहिए। महेश लांडगे आज रिव्हर साइकलॉन की पत्रकार परिषद के बाद पत्रकारों से वार्तालाप के दौरान यह बात कही।
आपको बताते चलें कि पालिका आयुक्त ने 18 ठेकेदारों को फर्जी एफडीआर जमा करने के मामले में ब्लैकलिष्ट किया है। साथ ही 5 ठेकेदारों के विरुद्ध गुनाह दर्ज करने की सिफारिश पुलिस विभाग को की है। लेकिन आज तक गुनाह दर्ज नहीं हो सका। सभी ठेकेदारों को बचाने का काम हो रहा है। अंदरखाने से छनकर बातें सामने आयी है कि बचने बचाने के लिए कुल 3.50 करोड रुपये का चढावा चढाया गया है। अगर ठेकेदारों पर कार्रवाई होती है तो चढावा की रकम वापस करनी पडेगी। अब चुनावी वर्ष में आयी लक्ष्मी को कौन बुद्धिमान वापस करेगा। इसलिए मामले को ठंडे बस्ते में डालने की पूरजोर कोशिश हो रही है।
कल स्थायी समिति के सभापति संतोष लोंढे ने पत्रकारों से कहा कि ठेकेदारों पर कार्रवाई होगी तो उनके आधे अधूरे विकाम काम को कौन करेगा? इसलिए कार्रवाई से ज्यादा महत्वपूर्ण अधूरे विकास कामों को पूरा कराना। दूसरे अथवा तीसरे नंबर के ठेकेदार से काम पूरा कराया जाएगा। पुणे के पालकमंत्री अजित पवार ने भी इस प्रकरण में गोलमोल जवाब देते हुए कहा था कि उनके कानों तक ऐसी बातें आती है लेकिन चर्चा पर कार्रवाई नहीं की जाती। साबूत लेकर आओ जांच बैठाकर कार्रवाई करेंगे। आयुक्त हर्डीकर ने 18 ठेकेदारों को यूं ही ब्लैकलिस्ट नहीं किया और नही बिना साबूत के 5 लोगों पर गुनाह दर्ज करने की सिफारिश की होगी। फिर अजित पवार को क्या उनके स्थानीय नेता इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी या फिर जानकर अनजान बन रहे है?
पालिका में भाजपा के पदाधिकारी खासतौर पर स्थायी समिति सभापति संतोष लोंढे का रुख नरम दिखाई दे रहा है और महेश लांडगे का गरम। महेश लांडगे ने कार्रवाई की मांग करके आग के ऊपर से राख को हटाने का काम किया। अब देखते हैं कि यह प्रकरण को ठंडे बस्ते में डालकर तेरी भी चुप मेरी भी चुप वाली कहावत को चरितार्थ किया जाता है या फिर कार्रवाई करके अन्य ठेकेदारों को कडा संदेश दिया जाता है।