पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) राज्य सरकार द्वारा 30 जनवरी को पुणे में एल्गार परिषद की अनुमति देने के बाद अब राजनीति गर्म हो चली है। महाविकास अघाडी सरकार के इस निर्णय पर ब्राह्मण महासंघ ने आपत्ति जताई है। कानून और व्यवस्था का हवाला देते हुए 1 जनवरी को एल्गर परिषद को अनुमति से इनकार कर दिया गया था। हालांकि अब सरकार ने 30 जनवरी को एल्गार सम्मेलन की अनुमति दे दी है। एक महीने में स्थिति में क्या अंतर आया कि सरकार ने एल्गार परिषद को अनुमति दी? ब्राह्मण ऐसा सवाल ब्राहमण समाज ने किया। दूसरी तरफ एल्गार के पदाधिकारी कहते हैं कि परिषद को अनुमति की आवश्यकता भी नहीं थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी हमें स्वीकार्य है। लेकिन आनंद दवे ने स्पष्ट किया कि हम केवल यह चाहते हैं कि उस नाम के तहत कोई दुर्व्यवहार न हो।
सरकार क्या सावधानी बरतेंगी?
यह एक बार फिर से स्पष्ट किया जाना चाहिए कि एल्गार सम्मेलन के दौरान स्थानीय प्रशासन और सरकार क्या सावधानी बरतेंगे। क्या उन्हें रिकॉर्ड किया जाएगा और अध्ययन किया जाएगा? साथ ही एल्गार सम्मेलन के आयोजकों को उचित समझ और प्रतिबंधों के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए। आनंद दवे ने बताया कि हम एल्गार सम्मेलन के आयोजक बीजी कोलसे पाटिल से भी मिलेंगे और मांग पत्र देंगे।
एल्गार सम्मेलन कब और कहाँ होगा?
पिछले कई दिनों से पूर्व जस्टिस बी.जे. कोल पाटिल एल्गार परिषद की अनुमति लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अंत में पुणे पुलिस ने अनुमति दे दी है। यह सम्मेलन अगले शनिवार (30) को स्वारगेट के श्री गणेश कला क्रीड़ा रंगमंच में होगा।
विवादों के बीच एल्गार परिषद क्यों है?
एल्गार सम्मेलन शनिवार दिसंबर 2017 को महल में आयोजित किया गया था। उसके बाद कोरेगांव-भीमा में एक बड़ा दंगा हुआ। दंगों को सीधे एल्गार परिषद से जोड़ा गया था। जिस पर राज्य में कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने का आरोप था। एनआईए ने तब देश भर में कई वामपंथी बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया था। इसने पूरे देश में वामपंथी लोगों के बीच काफी हलचल मचाई।