पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) बहुजन अघाड़ी नेता प्रकाश अंबेडकर ने आज एनसीपी प्रमुख शरद पवार की कड़ी आलोचना की। दिल्ली में किसान आंदोलन एक सच्चाई है। मुझसे पूछा गया कि मैं किसानों का समर्थन करने के लिए दिल्ली क्यों नहीं जाता। लेकिन मेरी लड़ाई राज्य में है। हम कांग्रेस और राकांपा को राज्य में एक अनुबंध कृषि कानून बनाने से नहीं रोक सकते थे। कृषि एक राज्य का विषय है। यदि राज्य के कानून को निरस्त किया जाता है, तो देश का कानून स्वतः निरस्त हो जाता है। कानून राज्य पर निर्भर करता है। इस कानून को रद्द करने में तीन-पैर वाली सरकार के लिए क्या समस्या है? यदि हम ऐसा सवाल करते हुए भूमि बचाना चाहते हैं, तो अनुबंध कृषि कानून को निरस्त किया जाना चाहिए। अनुबंध खेती और खेत मालिकों के बीच क्या संबंध है? इसे एक बार केन्द्रित करें।
बाजार समितियों को रद्द करने का दांव
कृषि कानून पर अदालत जाने का कोई मतलब नहीं है। यह राज्य और केंद्र सरकार का मसला है और उन्हें इस पर फैसला करना चाहिए। किसानों की जमींन जाएगी। एक बार ऐसा होने पर किसानों के पास कोई विकल्प नहीं है। मार्केट कमेटी यशवंतराव चव्हाण की अवधारणा थी। उसकी जमींन पर कब्जा हो गया। बाजार समिति का कहना है कि उत्पादों की लूट को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है।
एलगार का परिषद से कोई लेना-देना नहीं है
इस समय अंबेडकर ने एलगार परिषद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। एलगार सम्मेलन को महत्व नहीं देता। पिछले एलगार सम्मेलन का उद्देश्य अलग था। एलगार परिषद की स्थापना समाज में एकता बनाने के लिए की गई थी। जब मैं अध्यक्ष था तब एलगार परिषद को बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा एलगार परिषद के बाकी सदस्यों के साथ हमारा कोई संबंध नहीं है।