पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। अन्ना की चेतावनी के बाद भाजपा गुट में वेचैनी है। अगर अन्ना हजारे दिल्ली की सीमा पर पिछले 58 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होते है तो केंद्र सरकार का सिरदर्द बढ़ने की संभावना है। इसलिए अब राज्य के भाजपा नेता अन्ना को उनके निवास स्थान राणेगणसिद्धि में जाकर मानमनोव्वल कर रहे है। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस पूर्व मंत्री और भाजपा नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल आज रालेगण सिद्धि में अन्ना हजारे से मिलने पहुंचे। देवेंद्र,विखे पाटिल और अन्ना हजारे के बीच एक घंटे की चर्चा हुई। उसके बाद फड़नवीस,विखे-पाटिल और अन्ना ने एक बार फिर एक-डेढ़ घंटे के लिए बंद दरवाजे पर चर्चा की। गिरीश महाजन भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस बैठक के बाद भी अन्ना हजारे ने स्पष्ट कर दिया कि वह आंदोलन पर अड़े हैं। देवेंद्र फड़नवीस ने हमें केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा दिया गया पत्र दिया। हजारे की मांगों को केंद्र सरकार के सामने पेश किया जाएगा। महाराष्ट्र में अन्ना हजारे एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं। हम यह भी चाहते हैं कि अन्ना की मांगों को सुलझा लिया जाए। अन्ना के पत्र के जवाब पर चर्चा होनी थी इसलिए कोई जवाब नहीं दिया गया। फडणवीस ने यह भी कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने खुद कहा था कि वह अन्ना को जवाब देना चाहते थे।
30 जनवरी को भूख हड़ताल की चेतावनी
अन्ना हजारे ने 30 जनवरी 2021 को किसानों के विभिन्न मुद्दों पर भूख हड़ताल की चेतावनी दी है। अन्ना हजारे सरकार,मंत्रियों द्वारा किए गए वादों को याद दिलाने के लिए भूख हड़ताल पर जाएंगे। अन्ना ने भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं में हलचल मच गई है। पिछले 58 दिनों से हजारों किसान दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच 11 वें दौर की वार्ता आज समाप्त हो गई है। लेकिन फिर भी यह कृषि कानून के बारे में है कोई निर्णय नहीं हुआ।
अन्ना हजारे अब कुछ साल पहले मंत्रियों द्वारा किए गए वादों को याद करने के लिए पुराने वीडियो प्रसारित करेंगे। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मांग की है कि किसानों की कृषि उपज की गारंटी स्वामीनाथन आयोग की तरह दी जाए और केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को स्वायत्तता दी जाए। हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि पहले कांग्रेस और अब भाजपा ने उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया। 2011 में अन्ना दिल्ली में भूख हड़ताल पर चले गए। उस समय पूरा देश कांग्रेस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। लेकिन उस समय भाजपा नेताओं ने इसका फायदा उठाया और अन्ना के आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद हम अन्ना की मांगों को पूरा करेंगे। हालांकि अगली सरकार आने के बाद भी बीजेपी ने अन्ना की मांगों को नजरअंदाज कर दिया। इन घटनाक्रमों के कारण ही अन्ना हजारे ने एक नई लड़ाई लड़ी है। अन्ना ने हमारे द्वारा किए गए वादों की याद दिलाने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। इसके अनुसार अन्ना उन नेताओं के पुराने वीडियो एकत्र और प्रसारित करेंगे जिन्होंने अब तक विभिन्न वादे किए हैं।