Pune पंढरपुर(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र का सबसे बडा मेला और करोडों भक्तों की आस्था का पर्व पंढरपुर मेला 20 जुलाई 2021 को देवशयनी एकादशी के दिन मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड शहर की सीमा से सटे देहु में वैकुंठधाम गए महान संत तुकाराम महाराज और आलंदी में समाधि लिए संत ज्ञानेश्वर महाराज अपने भगवान विठ्ठल के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष पैदल पंढरपुर जाते थे। वर्तमान में दोनों संतों की पादुकाएं हर साल जुलाई महिने में पंढरपुर हरि विठ्ठल से मिलने जाती है।
कोरोना महामारी के कारण पिछले साल से पैदल पालखी यात्रा पर रोक लगा दी गई। लेकिन परंपरा पर कोई आंच नहीं आयी। बसों में पादुकाओं को रखकर प्रमुख पुजारी और भक्त पंढरपुर ले जाते है। 20 जुलाई को दोनों संत अपने भगवान विठ्ठल का दर्शन करेंगे। इस पावन पर्व पर परंपरा के अनुसार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पत्नी संग सर्वप्रथम भगवान विठ्ठल और दोनों संतों की पूजा,आरती उतारेंगे। इस दिन लाखों की तादाद में भक्तों की भीड़ लगती है।
आओ जानते हैं कि श्रीहरि विट्ठल कौन हैं और क्या उनकी कथा और मंत्र।
कौन है हरि विट्ठल?
महाराष्ट्र के पंढरपुर में भगवान श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां श्रीकृष्ण श्रीहरि विट्ठल रूप में विराजमान हैं और उनके साथ लक्ष्मी अवतार माता रुक्मणिजी की भी पूजा होती है।
विट्ठल रूप की कथा :
छठवीं सदी में संत पुंडलिक के इष्टद्ेव श्रीकृष्ण थे। माता पिता के भक्त थे। लेकिन एक ऐसा समय आया कि श्रीकृष्ण की भक्ति छोड दिए और अपने माता पिता को घर से निकाल दिया था। बाद में पछतावा हुआ और माता पिता की भक्ति में लीन हो गए। अपने आराध्य श्रीकृष्ण की भक्ति करने लगे। कृष्ण भक्ति से प्रसन्न हुए और रुक्मिणी के साथ द्धार पर प्रकट हुए। पुंडलिक माता पिता के पैर दबा रहे थे,कहा मेरे माता पिता निंद्र में है आपका अतिथि सेवा करने में असमर्थ हूं,ईंट पर खडे होकर प्रतिक्षा कीजिए। भगवान ने अपने भक्त पुंडलिक की आज्ञा का पालन किया और दोनों हाथ धरकर पैरों को जोडकर ईंट पर खडे हो गए। यह स्वरुप विठ्ठल कहलाया गया। विठोबा नाम से भी संबोधित किया जाता है। नींद खुलने पर देखा कि प्रभु मूर्ति का रुप ले चुके थे। पुंडलिक ने विठ्ल रुप को ही घर में विराजमान किया और पूजा करने लगा।
यही स्थान पुंडलिकपुर या अपभ्रंश रूप में पंढरपुर कहलाया,जो महाराष्ट्र का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है। पुंडलिक को वारकरी संप्रदाय का ऐतिहासिक संस्थापक भी माना जाता है, जो भगवान विट्ठल की पूजा करते हैं। यहां भक्तराज पुंडलिक का स्मारक बना हुआ है। इसी घटना की याद में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है।
श्री हरि विट्ठल जी का मंत्र :
1. लोग विट्ठला विट्ठला जपते हैं।
2. ॐ भूर्भुवः स्वः श्री विट्ठलाय नम: कृष्णवर्ण विट्ठल नम: श्री विट्ठल आभायामी
3. ॐ विठोबाय नम:
4. हरि ॐ विट्ठलाय नम: