Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र राज्य में मजदूर और श्रमिकों की हालत बेहद दयनीय हो गई है। विनियमन एवं उन्मूलन अधिनियम,1970 का दुरूपयोग कर सभी उद्योगों में स्थायी श्रमिकों के स्थान पर संविदा(ठेकेदारी प्रणाली) के आधार पर नियुक्त करके युवाओं का शोषण किया जा रहा है। राष्ट्रीय मजदूर संघ के अध्यक्ष और नेश्नल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन(एनएफआईटीयू) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष यशवंत भोसले इन मांगों को लेकर 10 अगस्त,2022 से भूख हड़ताल करने का एलान किया है। महाराष्ट्र में मजदूरों के हितों के खिलाफ कानून लागू नहीं किया जाना चाहिए। ठेका प्रथा बंद हो,मजदूर संगठनों का अधिकार बरकरार रहे,240 दिन बाद मजदूरों को स्थायी नौकरी पर रखा जाए आदि मांगों को लेकर 10 अगस्त से वे श्रम आयुक्त कार्यालय शिवाजीनगर,पुणे में सुबह 10:30 बजे से अनशन पर बैठेंगे। ऐसी जानकारी यशवंत भोसले ने पत्रकार परिषद में दी।
कर्मचारियों का ऐसे हो रहा है शोषण
इस अवसर पर बोलते हुए यशवंत भोसले ने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रतिष्ठानों में स्थायी श्रमिकों और ट्रेड यूनियनों पर इसका बहुत प्रभाव पड़ा है। स्थायी कर्मचारियों की प्रतिशोधात्मक बर्खास्तगी,संघ के प्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई करना,स्थायी श्रमिकों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करना,श्रमिकों का शोषण,सुविधाओं का प्रावधान न करना और समय पर वेतन वृद्धि न देना, स्थायी श्रमिकों को हटाना और ठेका श्रमिकों को रखना और समय समय पर बदलना आदि शामिल है। ऐसी नीतियां सभी कारखाने और प्रतिष्ठान चल रहे हैं। एनईईएमएस(NEEMS) और अनुबंध प्रणाली के कारण भावी पीढ़ी और मौजूदा श्रमिकों का शोषण जारी है। इस नए श्रमिक कानून के विरोध में आवाज उठाना हम सबका कर्तव्य है।
तीन कंपनियों द्धारा केंद्र सरकार और जिलाधिकारियों के आदेशों का उल्लंघन
कोरोना महामारी के दौरान सरकार और माननीय जिलाधिकारी के साथ-साथ श्रम मंत्रालय की ओर से भी आदेश आया था कि किसी भी उद्योग में किसी भी श्रमिक को नौकरी से न निकाला जाए और न ही उनका वेतन कम किया जाए,लेकिन कई उद्यमियों ने स्थायी कामगारों को नौकरी से निकाल दिया है। श्रमिकों और श्रमिकों के वेतन में भी कटौती की। सणसवाडी,शिरूर,जिला पुणे,मे.राठी ट्रांसपॉवर प्रा.लिमिटेड आलंदी मरकल रोड,धनौर, तहसीलखेड़ जिला पुणे के 41 स्थायी श्रमिकों को नौकरी से हटाया गया, मे.प्लास्टिक ओम्नियम एटो एक्सटीरियर (ई) प्राइवेट लिमिटेड,प्लॉट नंबर सी04,एमआईडीसी,चाकन,फेज 2,भम्बोली,तहसील खेड़,जिला पुणे ने 60 स्थायी कर्मचारियों हटाया और एम तारिणी स्टील कंपनी प्राइवेट लिमिटेड गेट नंबर 399,चर्होली खुर्द,उप जिला खेड़,जिला पुणे से 40 स्थायी कर्मचारियों को हटाया गया है।
उच्च न्यायालय और अपर कामगार आयुक्त पुणे के आदेशों का पालन नहीं
मा.उच्च न्यायालय ने अप्पर कामगार आयुक्त को निर्देश दिया था कि तीनों कारखानों और पीडित कामगारों का पक्ष सुनने के बाद कामगारों को न्याय देने की दिशा में कदम उठाएं। अपर कामगार आयुक्त ने तीनों कंपनियों और पीडित कामगारों की दलीलें सुना और निर्देश दिया था कि कामगारों को मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए,गैरकानूनी ढंग से हटाए गए कामगारों को काम पर वापस रखा जाए,वेतन में जो कटौति की गई उस रकम का भूगतान किया जाए ऐसा आदेश पारित किया था। लेकिन संबंधित मालिकों ने इस निर्णय का पालन नहीं किया। नतीजतन, सभी स्थायी कर्मचारी पिछले 2 महीने से भारी बारिश में अपर श्रम आयुक्त,पुणे के कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। मजदूरों की उपस्थिति में महाराष्ट्र राज्य के मजदूर नेता यशवंत भोसले ने मांग की है कि महाराष्ट्र में मजदूरों के हितों के खिलाफ कानून लागू न हो,ठेका व्यवस्था बंद हो,मजदूरों के अधिकार ’संगठन बरकरार रहे, 240 दिनों के बाद कर्मचारियों को स्थायी किया जाए और उपरोक्त कंपनियों के कामगारों को काम पर वापस रखा जाए।
राष्ट्रीय श्रमिक अघाडी की प्रमुख मांगें:-
1) केंद्र सरकार ने श्रम अधिनियम 2022 के तहत किसी भी कंपनी में अब 100 के बजाय 300 कामगार कार्यरत है तो कंपनी मालिकों को कंपनी बंद करने और कामगारों को हटाने का अधिकार प्रदान किया गया है। इस नए नियम से महाराष्ट्र में 90% कामगारों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। महाराष्ट्र में यह कामगार विरोधी श्रम कानून लागू न हो।
2) कामगारों व कर्मचारियों से डायरेक्ट ठेकेदारी प्रणाली से 3 वर्ष या 5 वर्ष का अनुबंध कंपनी मालिक कर रहे है। यदि कंपनी प्रबंधन ऐसा सोचता है तो कंपनी के मालिकों को समय सीमा बढ़ाने का अधिकार है। युनियन में शामिल होने के लिए प्रतिष्ठानों की मंजूरी आवश्यक है। यह नियम बदलना चाहिए।
3) महाराष्ट्र के उद्योगों में ठेकेदारी व नीम्मस NEEMS के माध्यम से करोड़ों श्रमिकों की भर्ती के कारण राज्य के युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है। क्योंकि कंपनियां कर्मचारियों को फिक्स कॉन्ट्रैक्ट दे रही हैं। इसके कारण राज्य में ठेकेदारी रोजगार अनुबंध और नीम्स प्रणाली को बंद किया जाना चाहिए। साथ ही यह कानून भी लागू किया जाए कि 6 महीने की ट्रेनिंग,6 महीने का प्रोबेशन पूरा करने वाले युवाओं को उस उद्योग में सेवा में रखा जाए।
4) 240 दिन पूरे होने पर और लगातार काम करने के बाद उन श्रमिकों को संबंधित प्रतिष्ठान और कारखाने में स्थायी रूप से नियोजित किया जाता है। लेकिन नए श्रम कानून के अनुसार स्थायी श्रम प्रणाली बंद हो जाएगी और समाज में बेरोजगारी का भारी बोझ बढ़ेगा। इसलिए इन कानूनों को महाराष्ट्र में लागू नहीं किया जाना चाहिए।
5) कोरोना (कोवि-19) महामारी के दौरान उपर्युक्त कारखानों और प्रतिष्ठानों के श्रमिकों को अवैध रूप से निकाल दिया गया था जबकि केंद्र और राज्य सरकारों ने आदेश जारी किया था कि किसी भी श्रमिक को नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए और उनके वेतन में कटौती नहीं की जानी चाहिए। मा. उच्च न्यायालय, मुंबई और औरंगाबाद ने इस संबंध में आदेश जारी किया था। लेकिन कंपनी मालिकों ने आदेश का पालन नहीं किया।
मा. न्यायालय और मा.अपर कामगार आयुक्त,पुणे कार्यालय ने आदेश दिया कि श्रमिकों को बहाल किया जाए और मजदूरी का भुगतान किया जाए। संबंधित कारखानों और प्रतिष्ठानों ने आदेश का पालन नहीं किया। इन तमाम मुद्दों को लेकर सैकडों कामगारों को न्याय दिलाने के लिए 10 अगस्त 2022 सुबह 11.30 बजे से कामगार नेता यशवंत भोसले अपने साथियों के साथ अनशन पर बैठने की घोषणा की है।