Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे,पिंपरी-चिंचवड़ समेत जिले के 80 से अधिक शिवभोजन थाली केंद्रों को पिछले तीन माह से राशि नहीं मिली है। हालांकि जिला प्रशासन के पास पर्याप्त धनराशि है, लेकिन यह पता चला है कि खाद्य वितरण अधिकारियों की नियुक्ति न होने से केंद्रों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। पता चला है कि स्टाफ की कमी के कारण ही यह तकनीकी बाधा उत्पन्न हुई है।
कोरोना काल में शिवभोजन थाली से लाभान्वित होने वाले नागरिकों के भोजन से समझौता नहीं करना चाहिए। साथ ही रोजगार देने के लिए तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार ने राज्य में शिव भोजन थाली केंद्र शुरू किए। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद पहल की थी। इस योजना को पुणे,पिंपरी-चिंचवड समेत जिले के ग्रामीण इलाकों में भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। इन केंद्रों पर मात्र दस रुपये में भरपेट भोजन मिल जाता है। इन केंद्रों को सरकार द्वारा प्रति प्लेट एक निश्चित राशि के लिए सब्सिडी दी जाती है।
राज्य खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में पदों का पुनर्गठन किया गया। तदनुसार पुणे जिले के खाद्यान्न वितरण कार्यालय में कार्यरत 57 कर्मचारियों को राजस्व विभाग में उनके मूल स्थान पर वापस भेज दिया गया है। इसमें तीन तहसीलदार,क्लर्क सहित एक नायब तहसीलदार शामिल हैं। नतीजा यह हुआ कि इस विभाग का काम ठप हो गया। इस पृष्ठभूमि में कलेक्टर डॉ.राजेश देशमुख ने अन्य विभागों के कुछ कर्मचारियों को अस्थायी रूप से खाद्यान्न वितरण कार्यालय में नियुक्त करने की योजना बनाई है। आलम यह है कि जिले के शिव भोजन थाली केंद्रों की राशि का बंटवारा होना बाकी है। केंद्र के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध है। हालांकि कर्मचारियों और अधिकारियों के कुछ पद अभी भी खाली हैं। जिला आपूर्ति अधिकारी सुरेखा माने ने पुष्टि की है कि तकनीकी कारणों से अभी तक धनराशि का वितरण नहीं किया गया है। कलेक्टर कार्यालय ने बताया कि जल्द ही इस कोष का वितरण किया जाएगा।
वास्तव में समस्या क्या है?
पुणे जिले में कुल 82 शिव भोज थाली केंद्र,पुणे शहर में 41 और जिले में 41 केंद्र कार्यरत हैं। उन केंद्रों को शहरी क्षेत्रों में 25 रुपये प्रति प्लेट और ग्रामीण क्षेत्रों में 35 रुपये प्रति प्लेट की सब्सिडी दी जाती है। जबकि ग्राहक केंद्र चालकों को दस रुपये देते हैं। खाद्यान्न वितरण कार्यालय में शिव भोजन थाली केन्द्रों को अनुदान वितरण हेतु तहसीलदार पद का एक खाद्य वितरण अधिकारी (आरेखण जिला अधिकारी) नियुक्त किया जाता है। इस अधिकारी के हस्ताक्षर के बाद कोषालय से राशि का वितरण किया जाता है। इस पद पर कार्यरत अधिकारी के अभी तक कार्य नहीं करने के कारण ही धनराशि का संवितरण नहीं किया गया। जिले के केंद्रों को एक महीने के लिए 35 से 40 लाख रुपये के फंड की जरूरत है। मई के बाद तकनीकी दिक्कतों के चलते अब तक राशि का वितरण नहीं हो सका है।