पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे जिले के ग्रामीण इलाकों में शून्य से छह साल की उम्र के हर 1000 लड़कों की तुलना में 941 लड़कियां हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में प्रति 1000 लड़कों पर 883 लड़कियां थीं। जैविक मानकों के अनुसार प्रति एक हजार लड़कों पर 940 से 950 लड़कियां होनी चाहिए। आँकड़ों के अनुसार जिले में इस समय प्रति 1000 लड़कों पर 941 लड़कियां हैं। इस बीच जिले के 575 गांव अभी भी लाल श्रेणी में हैं, जहां प्रति 1000 लड़कों पर 912 लड़कियां हैं। सरकार ने गर्भवती महिलाओं,माताओं के लिए लिंग पहचान करने अथवा गर्भपात करने पर जो प्रतिबंध लगाया और सजा का प्रावधान किया,आज उसी का नतीजा है कि पुणे जिले में लडके लडकियों की संख्या लगभग बराबरी पर पहुंच गई है।
पुणे जिला परिषद ने बाल स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसके तहत बच्चों के नाम और स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखे गए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा प्रत्येक बच्चे की जांच की जाती है। बच्चे के नाम और 36 आवश्यक बाल चिकित्सा मानदंडों के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी जानकारी संकलित की गई है। पहले दौर की जांच परीक्षा में तीन लाख 28 हजार बच्चों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है और इसमें 31 जनवरी 2022 तक शून्य से छह वर्ष के आयु वर्ग के दो लाख 85 हजार 174 बच्चे हैं। इसमें आंगनबाडी,निजी स्कूल,घर,स्कूल आदि के बच्चे शामिल हैं। पुणे मनपा में शामिल 21 ग्राम पंचायतों में पुणे जिला परिषद अभी भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आयुष प्रसाद ने कहा कि इन गांवों में सभी बच्चों के लिए स्वास्थ्य जांच की गई है,लेकिन बाल लिंगानुपात केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही बताया गया है।
इस बीच बाल स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है। इससे बाल मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी। जन्म के 30 दिन के भीतर डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र और जन्म के चार दिन के भीतर आधार कार्ड जारी करने का प्रयास किया जा रहा है। गर्भावस्था की रोकथाम और प्रसवोत्तर निदान लिंग चयन अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पुलिस महकमा सक्रिय कदम उठा रहा है। आयुष प्रसाद ने यह भी स्पष्ट किया कि इस संबंध में अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए जल्द ही पुलिस गश्त के आदेश दिए जाएंगे।
तीन श्रेणियों में विभाजन
लिंगानुपात की दृष्टि से जिले के गांवों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से 949 या उससे अधिक के बाल लिंगानुपात वाले 686 गांवों को ग्रीन श्रेणी में,912 से 948 गांवों को बाल लिंगानुपात वाले गांवों को नारंगी श्रेणी में और 912 से कम बाल लिंगानुपात वाले 575 गांवों को लाल श्रेणी में रखा गया है।
तहसील स्तरीय क्रमशःलाल-नारंगी-हरी श्रेणी के गाँव
अम्बेगांव 46-8-50, बारामती 38-9-51, भोर 39-9-104, दौंड 40-10-30, हवेली 37-10-24, इंदापुर 48-7-60, जुन्नार 59-11-74, खेड़ 64-7-91, मावल 51-8-45, पुरंदर 33-8-46, पुरंदर 44-8-41, शिरूर 57-13-25, वेल्हा 19-3-45