Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) कांग्रेस के पूर्व सांसद सुरेश कलमाड़ी को भ्रष्टाचार के आरोप के बाद पार्टी से निलंबित कर दिया। पिछले ग्यारह वर्षों से कांग्रेस कलमाड़ी से दूर रहना पसंद करती रही है,लेकिन अब कलमाड़ी द्वारा आयोजित पुणे महोत्सव के उद्घाटन के लिए नितिन गडकरी,देवेंद्र फडणवीस,चंद्रकांत पाटिल,मंगलप्रभात लोढ़ा जैसे भाजपा नेताओं की एक बड़ी कतार दिखाई देगी। इसलिए सवाल पूछा जाता है कि क्या बीजेपी कई अन्य नेताओं की तरह कलमाड़ी को पवित्र करेगी?
शुक्रवार (2 अगस्त) की शाम रंगारंग कार्यक्रमों के साथ पुणे महोत्सव का उद्घाटन होगा। इस मौके पर फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकार मौजूद रहेंगे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बीजेपी नेताओं की मौजूदगी को लेकर होगी। क्योंकि नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस, चंद्रकांत पाटिल, मंगलप्रभात लोढ़ा जैसे बीजेपी के कई नेता पुणे महोत्सव के उद्घाटन में शामिल होने वाले हैं। सुरेश कलमाडी द्वारा शुरू किए गए पुणे महोत्सव का यह 34वां वर्ष है। गणेशोत्सव के दौरान मनाए जाने वाले पुणे उत्सव ने पुणे के सांस्कृतिक क्षेत्र में मूल्यवर्धन किया है। लेकिन शुरुआत से ही पुणे के त्योहार को कलमाड़ी के त्योहार के रूप में जाना जाता है। जिन पर भाजपा ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। वहीं अमृता फडणवीस 6 तारीख को मिस पुणे प्रतियोगिता में शिरकत करेंगी। कलमाडी ने समझाया है कि यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है।
कलमाडी को सीबीआई ने 2011 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान गबन के आरोप में गिरफ्तार किया था। तुरंत कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया। कलमाडी पर राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में ढिलाई बरतने से देश को 96 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था। इस मामले का फैसला पिछले ग्यारह वर्षों में लागू नहीं किया जा सका। इस दौरान कांग्रेस ने कलमाड़ी को दूर रखना पसंद किया। लेकिन पिछले कुछ दिनों से 87 वर्षीय कलमाड़ी फिर से सक्रिय हो गए हैं। पुणे कांग्रेस में एक बड़ा तबका है जो कलमाड़ी को मानता है। कुछ दिन पहले वह पुणे मनपा भी आए थे। इसलिए आगामी पालिका चुनाव को ध्यान में रखते हुए सवाल किया जा रहा है कि क्या यह निकटता हासिल नहीं की जा रही है।
कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक मोहन जोशी ने कलमाड़ी और बीजेपी की नजदीकियों की आलोचना की है। मोहन जोशी ने कहा है कि यह भाजपा की दोहरी भूमिका होगी। राजनेताओं की एक पसंदीदा कहावत है कि राजनीति में कोई भी स्थायी मित्र या स्थायी दुश्मन नहीं होता है। लेकिन राजनेता जो इस वाक्यांश का प्रयोग करते हैं, वे सामान्य मतदाताओं को मानते हैं। उन्हें लगता है कि लोग अतीत में उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को भूल जाएंगे और इसलिए, जिन्हें अब तक भ्रष्ट कहा जाता था, वे पवित्र हो जाते हैं।
भाजपा ने जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, उन्हें उनके उपयोगिता मूल्य को ध्यान में रखते हुए समय के साथ पवित्र किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर सुखराम, एन. डी. तिवारी, एस.. एम. कृष्ण के अनेक उदाहरण हैं। राज्य में ऐसे नेताओं का एक समूह ही भाजपा में सक्रिय है। सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है। यदि परिणाम मिलता है तो क्या कलमाड़ी का चरित्र उन नेताओं के बीच भी लागू किया जा सकता है? यह सवाल पुणे फेस्टिवल के मौके पर पूछा जा रहा है।