Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) तथ्य यह सामने आया है कि शहर में स्थापित सभी 14 ई-टॉयलेट बंद हैं। रखरखाव व मरम्मत का टेंडर जारी होने के बाद भी ई-टॉयलेट बंद हैं। ई-शौचालय की शुरूआत पर प्रशासनिक हताशा के कारण पिछले तीन वर्षों में ई-शौचालय के उपयोग में भी कमी आयी है। नया समझौता नहीं होने के कारण ई-टॉयलेट के रखरखाव और मरम्मत का काम फिर से उसी संस्था को दे दिया गया है। लेकिन उसके बाद भी यह बात सामने आयी है कि कई जगहों के ई-टॉयलेट बंद हैं। कई ई-शौचालयों में डिब्बे तोड़े गए हैं और कुछ जगहों पर बुनियादी ढांचे की कमी है। नतीजा यह है कि ई-टॉयलेट भी बेकार पड़े हैं। इस बीच पालिका ठोस कचरा प्रबंधन विभाग द्वारा 14 में से दो शौचालयों को बंद करने का दावा किया गया।
ऐसी जानकारी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नगर अध्यक्ष नगरसेवक वसंत मोरे को आरटीआई में दी थी। इसके बाद मनसे पदाधिकारियों द्वारा शहर के सभी ई-टॉयलेट का निरीक्षण किया गया। यह भी स्पष्ट हो गया कि सभी शौचालय बंद थे। इसलिए निगम के आला अधिकारियों की भी पोल खुल गई है। सार्वजनिक शौचालयों की आवश्यकता को देखते हुए पूर्व सांसद अनिल शिरोले के सांसद विकास कोष के सहयोग से शहर में अत्याधुनिक एवं स्वचालित ई-शौचालय स्थापित किए गए हैं। शहर में वर्तमान में चौदह स्वचालित ई-शौचालय हैं। इन अत्याधुनिक ई-शौचालयों का प्रबंधन और रखरखाव एक निजी कंपनी को आउटसोर्स किया गया था।
कंपनी के साथ अनुबंध कोरोना संक्रमण काल के दौरान समाप्त हो गया,जिसके बाद ई-टॉयलेट को बंद कर दिया गया। यद्यपि उपयोग के लिए ई-शौचालय का शुल्क लिया जा रहा है,सुविधा,सुरक्षा,परिष्कार आदि के कारण शौचालयों का उपयोग भी बढ़ा है। मानव रहित स्वच्छता और स्वचालित प्रणाली शौचालयों की पहचान है। शौचालय का उपयोग सिक्का डालने के बाद ही किया जा सकता है। उपयोग के तुरंत बाद शौचालय को मशीन द्वारा साफ किया जाता है। शौचालय का उपयोग तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उसकी सफाई नहीं की जाती। देश के कई शहरों में इस तरह के शौचालय बनाए गए हैं। विकलांगों के लिए अलग से रैंप और लोहे की छड़ें हैं। इसलिए इसका उपयोग महिलाओं द्वारा भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा था। हालांकि यह स्पष्ट हो गया है कि पालिका की निष्क्रियता के कारण ई-टॉयलेट बंद हो गए हैं।
मनसे के शहर अध्यक्ष वसंत मोरे ने पुणे वासियों पर ई-टॉयलेट बंद कर ठगी करने का आरोप लगाया। इसके विरोध में मनसे पदाधिकारियों ने शहर के सभी चौदह स्थानों पर आंदोलन किया। शौचालय निर्माण पर दो करोड़ रुपये खर्च किए गए। उसके बाद प्रशासन ने मेंटेनेंस रिपेयर की आड़ में एक कंपनी को सालाना 18 लाख रुपए दे रही थी। इसकी सूचना मिलने के बाद प्रशासन से पत्राचार किया गया। इसलिए रखरखाव और मरम्मत के लिए भुगतान करने का निर्णय रद्द कर दिया गया है। शहर में जिन जगहों पर शौचालय बने हैं,वे सभी भाजपा नगरसेवकों के वार्ड में हैं। इसलिए यह खर्च संबंधित नगरसेवकों के विकास कोष से वसूल किया जाना चाहिए,वसंत मोरे ने ऐसी मांग की।
पुणे में चौदह जगहों पर शौचालय
शौचालय जंगली महाराज रोड,फर्ग्यूसन रोड,मॉडल कॉलोनी,हिरवाई गार्डन,भैरोबा नाला,गोखलेनगर,रामोशी वस्ती, कामगार पुतला,मावले आली कर्वेनगर,विमाननगर,राजाराम पूल,निलायम सिनेमा,वाडिया कॉलेज,सेनापति बापट रोड पर हैं। यह शहर का पहला ऐसा शौचालय था। इनमें से 12 शौचालय महिलाओं के लिए और दो पुरुषों के लिए हैं। इस शौचालय का निर्माण शहर में नवी मुंबई की तर्ज पर किया गया है।