Pimpri पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर की 30 करोड आबादी का कचरा एकमात्र मोशी डेपो में डाला जाता है। पुनावले में 74 एकड भूखंड में दूसरा कचरा डेपो निर्माणधीन है। मनपा ने अब तक 4 करोड रुपये खर्च कर चुकी है। लेकिन कुछ राजकीय बिल्डरों का भारी विरोध के चलते पिछले 20 सालों से पुनावले कचरा डेपो कार्यान्वियत नहीं हो सका।
कचरा डेपो क्यों हैं प्रलंबित?
पुनावाले गांव 1997 में महानगरपालिका में समाविष्ट हुआ था। उस समय कुछ राजकीय हस्तियों ने पालिका प्रशासन से मिलकर इस परिसर में कचरा डेपो का आरक्षण डलवाने का काम किया और आसपास की जमींन कौडियों के भाव खरीदा। अब 20 साल बाद यह जमींन सोना उगल रही है। बडे बडे राजकीय संबंधित बिल्डरों की फ्लैट स्कीम शुरु है। अब यही लोग कचरा डेपो का जोरदार विरोध कर रहे है। क्योंकि कचरा डेपो बना तो उनके फल्ैट के भाव गिर जाएंगे,बुकिंग नहीं होगी।अरबों का नुकसान झेलना पडेगा। यही कारण है कि सत्ताधारी भाजपा,राकांपा,शिवसेना सभी पार्टियों के स्थानीय नेता पुनावले कचरा डेपो का विरोध कर रहे हैं। डेपो के विरोध में सभी पार्टियों के नेता अपने आर्थिक हित के लिए एकजुट हो गए हैं।
भाजपा सत्तरुढ नेता ने क्या कहा?
पिंपरी चिंचवड मनपा में सत्तरुढ नेता नामदेव ढाके ने कहा कि पुनावले कचरा डेपो की जरुरत नहीं। हम वेस्ट टू एनर्जी की परियोजना की ओर आगे बढ रहे है। घर घर से सूखा-गीला कचरा वर्गीकरण करके कंबोज खाद,सीएनजी गैस निर्मित किया जाएगा। इससे पालिका को राजस्व मिलेगा। मोशी कचरा डेपो 4-5 पहाडों में तव्दील हो गया है। वहां रहने वाले नागरिकों को दुर्गंध की वजह से परेशानी हो रही है। इंदौर और कल्याण डोंबिवली मनपा की तर्ज पर पिंपरी चिंचवड शहर को कचरा डेपो मुक्त बनाने की भाजपा की संकल्पना है। अगर घर घर से कचरा वर्गीकरण करके आया तो डेपो की आवश्यकता नहीं पडेगी। भोसरी में बनने वाले वेस्ट टू एनर्जी परियोजना से कचरा डेपो मुक्त शहर आने वाले 6 महिनों में साकार होने जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता डेपो के समर्थन में
शहर के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कचरा डेपो के समर्थन में मैदान में उतर पडे हैं। आरपीआई(आंबेडकर गट) के शहर अध्यक्ष धुराजी शिंदे ने पालिका आयुक्त राजेश पाटिल को एक पत्र सौंपकर मांग कि है कि शहर की जनता के हित के लिए पुनावले कचरा डेपो बिना विलंब कार्यान्यिवत किया जाना चाहिए। राजकीय बिल्डरों के दबाव में कचरा डेपो को लटकाने की साजिश चल रही है। अगर पुनावले कचरा डेपो किसी के दबाव में नहीं हुआ तो आरपीआई की ओर से आंदोलन किया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश वाघेरे ने चेतावनी दी है कि अगर पुनावले कचरा डेपो किसी राजकीय दबाव और बिल्डरों के आर्थिक हित के चलते लटकाया गया तो वे कोर्ट में जाएंगे। पिंपरी चिंचवड पत्रकार संघ शहर अध्यक्ष अनिल वडगुले ने भी पुनावले कचरा डेपो का समर्थन किया।
कचरा डेपो की कुर्बानी और खेला
पहले सत्ताधारी सरकारें,उनके मंत्री,विधायक,सांसद मिलकर जमींनों पर आरक्षण डालकर भाव गिराने फिर आरक्षण उठाकर जमींन के दाम बढाकर करोडों,अरबों रुपये का खेला खेलते थे। अब स्थानीय राजकीय,बिल्डर,पालिका प्रशासन के कुछ अधिकारी मिलकर यह खेला खेल रहे है। 20 साल पहले पुनावले गांव जब पालिका में शामिल हुआ उस समय कचरा डेपो का आरक्षण डालकर कौडियों के भाव जमींने किसानों से खरीदा गया। अब जमींन के दाम आसमान छूने लगी तो कचरा डेपो का विरोध कर रहे है। क्योंकि इनके बडे बडे प्रोजक्ट तैयार है। करोडों रुपये की लागत लगी है। डेपो बनने से कचरे की दुर्गंध के डर,भय से लोग फ्लैट खरीदने में कतराएंगे। यही कारण है कि सभी पार्टियों के स्थानीय नेता अंदरखाने से एकजुट हो गए है। मतलब वेस्ट टू एनर्जी के बदले कचरा डेपो की कुर्बानी मिलकर देंगे।