Pimpri पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी-चिंचवड़ पालिका के स्थायी समिति के अध्यक्ष के निजी सहायक समेत चारों कर्मचारियों को रिश्वतकांड प्रकरण में सेवा से निलंबित कर दिया गया है। मनपा आयुक्त राजेश पाटिल ने उनके खाते की जांच शुरू करने के आदेश दिए हैं। एसीबी ने बुधवार को स्थायी समिति के अध्यक्ष के निजी सहायक सचिव ज्ञानेश्वर पिंगले को एक कार्य आदेश प्राप्त करने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए एक ठेकेदार से 1 लाख 18,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा था। स्थायी समिति के अध्यक्ष नितिन लांडगे समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। ज्ञानेश्वर पिंगले ने स्थायी समिति के 16 सदस्यों को पैसे बांटने की बात कबूल की थी। पुलिस रिमांड के दौरान सदस्यों का नाम लेने से इंकार कर दिया,जिसके कारण कल शनिवार को स्पेशल कोर्ट ने पुलिस रिमांड की अवधि सोमवार तक बढाने का आदेश दिया।
ज्ञानेश्वर पिंगले के साथ मुख्य लिपिक विजय शंभूलाल चावड़िया,कंप्यूटर ऑपरेटर राजेंद्र जयवंतराव शिंदे और शिपाई अरविंद भीमराव कांबले के निलंबन का आदेश जारी हुआ है।
एनसीपी और बीजेपी के बीच जंग
एसीबी की कार्रवाई के बाद अब एनसीपी और बीजेपी के बीच खींचतान शुरू हो गई है। स्थायी समिति की बैठक पिंपरी चिंचवड़ पालिका में हुई। उसके बाद पुणे रिश्वत रोकथाम विभाग ने स्थायी समिति के अध्यक्ष नितिन लांडगे के कार्यालय में कार्रवाई की। पालिका ने काम के टेंडर को मंजूरी दे दी है। कार्य आदेश जारी करने के लिए स्थायी समिति के अध्यक्ष के नाम पर एक ठेकेदार से 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। रिश्वत विरोधी विभाग ने जाल बिछाकर गिरफ्तार किया। स्थायी समिति के 16 सदस्यों में से 4 राष्ट्रवादी,1 शिवसेना,1 निर्दल, भाजपा के 10 सदस्य स्थायी समिति में हैं। सभी पार्टियों के सदस्य होने के कारण विपक्ष मजबुती के साथ विरोध नहीं कर रहा है।
स्थायी समिति सदस्य नितीन लांडगे गांववाले होने के नाते शहर के सभी गांववाले स्थानीय नेता उनके समर्थन में एकजुट दिखाई दे रहे है। एक दूसरे से रिश्ते,भाईचारा,घरेलू संबंध है। मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस के 4 सदस्यों के नाम अगर ज्ञानेश्वर पिंपले लेते हैं तो राकांपा के दामन भी दागदार होना तय है। यही कारण है कि थोडा विरोध प्रदर्शन दिखावे के लिए करने के बाद राकांपा भी अब खामोश बैठी है और एन्टी करफ्शन की कार्रवाई पर बारिक नजर बनाए हुई है।