Pcmc पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर के पूर्व पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश पर लगे सैकडों करोड वसुली के आरोप बिना आधार के है। केवल बदनामी करने की स्टंटबाजी है। इस बारे में रयत विद्यार्थी परिषद ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है,साथ ही मांग की है कि ऐसे कर्मठ,ईमानदार,तेहतर्रार पुलिस आयुक्त का तबादला रद्द करके पुन: पिंपरी चिंचवड शहर पुलिस आयुक्त पद की कमान सौंपी जानी चाहिए। शहर की जनता की यही मांग है। इस बारे में परिषद के अध्यक्ष सुर्यकांत सरवदे ने कहा कि पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश पदभार स्वीकार करते समय जीरो टॉलरेंस की संकल्पना की थी। आम जनता को न्याय कैसे मिले और भ्रष्ट अधिकारियों,अवैध धंधों पर नकेल कैसे लगे इस दिशा में कार्रवाई की। कृष्ण प्रकाश ने अपना मोबाईल नंबर शहर की जनता को दिया ताकि संकट की घडी में अथवा पुलिस स्टेशनों में न्याय न मिलने पर लोग उनसे संपर्क कर सकें।
कृष्ण प्रकाश ने पदभार स्वीकार करते ही 2020 में एक वर्ष के भीतर 9 गिरोजबाजों पर मकोका के तहत कार्रवाई की। 2021 में मात्र दो महिनों में 6 गिरोह समेत 39 अपराधियों के विरुद्ध मकोका लगाया। कृष्ण प्रकाश ने पदभार संभालते ही कहा था कि वे तबादला से घबराते नहीं,नेताओं का दबाव का असर उन पर होता नहीं,मैं कानून का सख्ती से पालन करने वाला अधिकारी हूं,अगर कोई भी व्यक्ति कानून को की थी।
पिंपरी चिंचवड शहर को दो होनहार अधिकारी प्राप्त हुए। पिंपरी चिंचवड मनपा को श्रीधर परद्ेशी जैसे इमानदार आयुक्त और पुलिस कमिश्नर कृष्ण प्रकाश। लेकिन दोनों की बदली षडयंत्रकारियों ने समय से पहले कराके अपने मकसद में कामयाब रहे। कृष्ण प्रकाश की स्टाइल ठोकों और मकोका की रही। पुलिस वालों को फ्री हैंड दिया गया। कितने अपराधियों के अवैध धंधों को नेस्तनाबुद किया। कितने गुंडों की उनके इलाकों में हथकडी लगाकर सार्वजनिक घूमाया गया। शहर के कई गिरोहबाज,गुंडे शहर छोडकर सीमा पार भाग गए,कुछ नगरसेवकों,बडे चेहरों पर कार्रवाई की गई। धीरे धीरे यही लोग गोलबंद हुए और कृष्ण प्रकाश के दुश्मन बन बैठे। तबादला का षडयंत्र रचे और आरोपों की बौछार करने लगे। लेकिन आज तक कोई भी सामने नहीं आया जो प्रमाण के साथ यह कह सके कि मेरे से इस काम के लिए इतना पैसा कृष्ण प्रकाश के नाम पर संबंधित अधिकारी ने वसूले। मुख्यमंत्री जी ऐसे होनहार आईपीएस अधिकारी का साथ सरकार और शासन को देना चाहिए। ऐसे अधिकारी का हौसला बुलंद रहना चाहिए। तबादला के आदेश पर पुर्नविचार हो ऐसी मांग रयत विद्यार्थी परिषद ने की है।