Pcmc पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) कोरोना महामारी के दौरान कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया। उसके बाद राज्य सरकार ने अभिभावकों से वादा किया था कि जो छात्र कोरोना से अपने पालकों को खोया वह स्नातक तक पढ़ाई पूरी करेगा।उसका सारा खर्च सरकार उठाएगी। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से एक सर्कुलर भी जारी किया गया था। हालांकि आरटीआई से खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार के पास उन छात्रों की जानकारी नहीं है,जिन्होंने कोरोना काल में माता पिता को खोया। इस संबंध में छात्र संगठन स्टूडेंट हेल्पिंग हैंड ने आरटीआई का उपयोग करते हुए जानकारी मांग थी कि राज्य में आवेदनों की कुल संख्या,कॉलेज और जिलेवार लाभार्थियों के आंकड़े,जिन छात्रों के शैक्षणिक खर्च माफ किए गए हैं,उनका विवरण,जिन छात्रों ने आवेदन किया है,उनके आंकड़े कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है,उन्हें प्रदान किया जाना चाहिए। हालांकि सरकार ने इन सभी मुद्दों के लिए उदासीन रवैया अपनाया है। सरकार ने जवाब दिया है कि जानकारी देना संभव नहीं होगा क्योंकि रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है।
वह निर्णय था?
कोरोना के कार्यकाल में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने 28 जून 2021 को विश्वविद्यालय के सभी कुलपतियों की बैठक बुलाई थी। उस बैठक में निर्णय लिया गया कि जिन छात्रों ने कोरोना काल में अपने माता-पिता को खो दिया है। ऐसे छात्रों की स्नातकोत्तर शिक्षा की फीस माफ की जाए। इसके बाद सरकार ने इस संबंध में 30 जून को एक सर्कुलर जारी किया था। इस संबंध में सभी कुलपतियों को पत्र भी भेजा गया है। इस फैसले को आए आठ महीने हो चुके हैं। लेकिन आज तक सरकार के पास जानकारी उपलब्ध नहीं है।
सरकार की लाचारी,लापारवाही
इससे साफ है कि सरकार लापरवाही और कमजोर है। कोरोना की वैश्विक महामारी ने सभी को अवाक कर दिया है।इसकी तीव्रता का खामियाजा आज भी सभी को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि परिवार के सदस्यों का कोरोना में निधन हो गया है। आज भी वे विद्यार्थी गम के माहौल से बाहर नहीं निकला। सरकार की लापरवाही से जरूरतमंद बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा। राज्य सरकार ने इन छात्रों की शैक्षणिक हानि को रोकने के लिए कोरोना काल में एक लोकप्रिय घोषणा की। मगर घोषणा हवाहवाई साबित हुई।