Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र पावन पर्व है। इसी पवित्र सूत्र को ध्यान में रखते हुए मुक्ताईनगर की संत मुक्ताईबाई संस्थाओं ने श्री संत श्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज को प्रतिवर्ष राखी भेजने की परंपरा को जारी रखा। पिछले कई वर्षों से श्री संत मुक्ताबाई संस्थान ने नारियलपौर्णिमा पर राखी भेजी है। रक्षाबंधन के अवसर पर तीनों संतों को राखी अर्पित की जाती है।
आज 11 अगस्त को प्रातः काल श्री संदीप रवींद्र पाटिल,श्रीमती अंकिता संदीप पाटिल,श्री मुक्ताई देवस्थान की न्यासी ने श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज के चरणों में अभिषेक कर संत ज्ञानेश्वर महाराज की समाधि पर राखी बांधी। मुक्ताबाई को श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज ने एक साड़ी भेंट की थी। इस अवसर पर विशाल महाराज खोले,दीपक महाराज,सागर महाराज,गणेश महाराज आदि उपस्थित थे।
संतों में संत मुक्ताबाई का बहुत सम्मान के साथ उल्लेख किया जाता है। संत मुक्ताबाई को महाराष्ट्र की प्रसिद्ध संत कवयित्री के रूप में जाना जाता है। अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद,वह अपने बड़े भाइयों संत निवृत्तिनाथ,संत ज्ञानेश्वर और संत सोपानदेव की बेटी बनीं। उन्होंने अपने दुखों को एक तरफ रखते हुए इतनी कम उम्र में एक मेहनती महिला के रूप में परिवार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। यद्यपि वह निवृतिनाथ, ज्ञानदेव और सोपानदेव की बहन थीं, लेकिन उनका एक स्वतंत्र व्यक्तित्व था
मुक्ताबाई चांगदेव की गुरु थीं। ज्ञानेश्वरी जो कि संत ज्ञानेश्वर की रचना है,के निर्माण में मुक्ताबाई का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। जब संत ज्ञानेश्वर ने कष्ट के कारण स्वयं को बंद कर लिया,तो मुक्ताई ने ज्ञानदेव से प्रार्थना की थी,कहा जाता है कि मुक्ताबाई ने उस घटना के बाद अमृत संजीवन प्राप्त किया था जहां मुक्ताबाई पर गोरक्षनाथ की कृपा भी बरसी थी। मुक्ताबाई ने ताती के ग्यारह अभंग लिखे।
हर वर्ष मुक्ताईबाई संस्थान की ओर से आलंदी के संत ज्ञानेश्वर महाराज को राखी भेजी जाती है। इस राखी को पुजारी,पंडाओं द्धारा मंत्रोच्चारण करने के बाद बडे ही आदर,सम्मान के साथ माउली के चरणों में अर्पण की जाती है। यह परंपरा कई सालों से बिना खंडित चलती आ रही है।