Pcmc पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पता चला है कि पिंपरी-चिंचवड़ में पतंगबाजी का मकसद पक्षियों की जान लेना है। नायलॉन और चीनी मांजा पक्षियों को मार रही हैं,और पक्षी स्थायी रूप से अक्षम हैं। वर्ल्ड फॉर नेचर के अध्यक्ष शुभम पांडे के अनुसार मकर संक्रांति के दौरान हर साल 80 पक्षी घायल हो जाते हैं और 20 से अधिक पक्षी फंस जाते हैं और मर जाते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर कई लोग पतंग उड़ाते नजर आते हैं। कहीं-कहीं प्रतिस्पर्धा भी है। इस बीच कीट पिछले कुछ वर्षों से नायलॉन या चीनी मांजा का उपयोग कर रहा है। पतंग कटने के बाद पक्षी और जानवर सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों,केबलों और पिंजरों में फंस जाते हैं। पिंपरी-चिंचवड़ में भी नायलॉन मांजा के गंभीर रूप से घायल होने के कारण कई मौतें हुई हैं। दरअसल पर्यावरण संरक्षण कानूनों के तहत नायलॉन की मांजा और चीनी मांजा प्रतिबंधित हैं।
हर साल मकर संक्रांति के दौरान 20-30 पक्षी फंस जाते हैं और मर जाते हैं। इनमें तोते,चमगादड़,कोयल,उल्लू, बगुले,कबूतर और चील शामिल हैं। पिछले साल 70-80 पक्षी घायल हुए थे। वर्ल्ड फॉर नेचर के जरिए कई पार्टियों ने इलाज कराया है। पक्षी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और उनके पैर,पंख कटे हुए हैं। शुभम पांडे ने कहा है कि यह बताया गया है कि वह स्थायी विकलांगता से पीड़ित है। इसलिए उन्होंने नाइलोन की मांजा के इस्तेमाल से बचने की अपील की है।
2018 में डॉक्टर का निधन हो गया था
2018 में एक युवा डॉक्टर को नायलॉन के मांजा मौत हो गई। उसका नाम कृपाली निकम था। दोपहिया वाहन पर पुणे से भोसरी जाते समय एक मांजा उसके गले में फंस गई और उसका गला कट गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। साथ ही तीन साल के बच्चे हमजा खान को भी मांजा ने गंभीर रूप से घायल कर दिया। उनकी आंखों में 32 टांके लगे हैं। वहीं कालेवाड़ी में सिग्नल पर रुके एक वरिष्ठ नागरिक के चश्मे में एक बिल्ली फंस गई। समझ में आते ही उन्होंने इसे एक तरफ रख दिया। इसमें उनका गला और अंगुली कट गई थी।