Alandi पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) आलंदी के ग्रामीणों ने मांग की है कि कोरोना की पृष्ठभूमि में आलंदी से संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी समारोह (पंढरपुर) को बस से पंढरपुर ले जाया जाए। इसलिए ग्रामीणों ने पैदल यात्रा का विरोध किया है। कोरोना महामारी ने जान ले ली है। इसलिए कोरोना के संकट काल में पिछले वर्ष की भांति सरकार के नियमों का पालन करते हुए महाराष्ट्र परिवहन बोर्ड की लालपरी बस ने चंद लोगों की मौजूदगी में पालकी समारोह को रवाना करने की मांग की।
तीसरी लहर के लिए दोषी नहीं बनना चाहते
कोरोना की पहली और दूसरी लहर विदेश से आयी,लेकिन तीसरी लहर के लिए हमें जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। कुंभ मेला,पंढरपुर विधानसभा उपचुनाव,ग्राम पंचायत चुनाव का अनुभव हमारे सामने है। ग्रामीणों ने ऐसा एक बयान में कहा। साधू संत,संस्थान के ट्रस्टी भी सबकी भलाई के लिए पालकी पैदल पंढरपुर तक ले जाने की जिद को छोडना चाहिए।
पंढरपुर तहसील के वाखरी के ग्रामीणों ने मांग की है कि इस साल की आषाढ़ी वारी प्रतीकात्मक तरीके से आयोजित की जानी चाहिए। पिछले साल एसटी से पालकी समारोह आयोजित किया गया था। इसी तरह वाखरी के ग्रामीणों ने मांग की है कि इस साल भी एसटी से पालकी को लाया जाए। वखरी ग्राम पंचायत की ओर से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पालकी समारोह के प्रमुख संस्थानों को पत्र लिखा गया है। पालकी मार्ग पर स्थित वाखरी एक महत्वपूर्ण गांव है। पंढरपुर की आषाढ़ी वारी के दौरान श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज और श्री संत तुकाराम महाराज की पालकियों सहित विभिन्न संतों की पालकियों का अंतिम पड़ाव व पालकी समारोह का अंतिम दौर वाखरी में आयोजित किया गया। वाखरी ग्राम पंचायत ने पिछले साल की तरह इस साल के पालकी समारोह को प्रतीकात्मक तरीके से मनाने की मांग की है। गांव की सरपंच कविता पोरे ने बताया कि इस संबंध में आलंदी संस्थान को लिखित पत्र भेजा गया है।