Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का केंद्र पुणे में शनिवार को कोहराम मच गया। पुणे के फुरसुंगी इलाके में रहने वाले 24 वर्षीय युवक स्वप्निल लोणकर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) की परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। एमपीएससी की प्री और मेन परीक्षा पास करने के बाद भी 2 साल तक इंटरव्यू नहीं हुआ और स्वप्निल धीरे-धीरे उदास हो गया। इस दौरान घर के हालात और परीक्षा के बाद नौकरी पाने की उम्मीद में लिए गए कर्ज से भी स्वप्निल पर तनाव बढ़ गया। उनका गुस्सा भड़क गया और वह यह बड़ा कदम उठाया। अपने जीवन को समाप्त करने से पहले स्वप्निल ने एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने अपना दर्द व्यक्त किया था। सुसाइड करने से पहले स्वप्निल ने अपने सुसाइड नोट में सब कुछ लिखा है। स्वप्निल ने कहा कि आत्महत्या के लिए कोई जिम्मेदार नहीं था,सुसाइड नोट की शुरुआत में एमपीएससी एक जादूगर है ऐसा संबोधित किया।
एमपीएससी जादू है,इसमें मत पड़ो। हर गुजरते दिन के साथ केवल उम्र और वजन बढ़ता है। आत्मविश्वास नीचे तक पहुंचता है और आत्म-संदेह बढ़ता है। 2 साल बीत चुके हैं और 24 साल बीत चुके हैं। घर की कुल हालत परीक्षा पास करने की आस में लिया कर्ज,कभी निजी नौकरी से नहीं चुका सकता कर्ज का पहाड़,परिवार और बाकी सभी की बढ़ती उम्मीदें और यह अहसास कि मैं हर बार हर जगह कम हो रहा हूँ!
अगर कोरोना न होता तो सभी परीक्षाएं सुचारू रूप से चली जातीं, लेकिन आज जीवन बहुत अलग और बेहतर होता। ठीक है, कम से कम मैं पहले खुद को समझाए बिना नीचे नहीं गया। मुझे डर नहीं है, मैं बिल्कुल नहीं थक रहा हूँ, मैं बस कम पड़ गया हूँ। मेरे पास समय नहीं था। नकारात्मकता के ये तूफान मेरे मन में कई दिनों से थे। लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि कुछ अच्छा होगा। लेकिन अब जीवन के आगे बढ़ने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है और यह मेरा पूर्ण निर्णय है। मुझे माफ कर दो। मैं दान करके 100 लोगों की जान बचाना चाहता था,72 रह गए। यदि इसे एकत्र किया जाता है तो इसे दूसरों को देना चाहिए,कई लोगों की जान बच जाएगी।
ऐसा मार्मिक दिल विदारक सुसाइड नोट लिखकर एमपीएससी परीक्षा पास प्रतियोगी ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इसके लिए दोषी कौन? हमारा सडा गला सिस्टम,भ्रष्ट शासन प्रशासन,सरकार दोषी है। प्रतिवर्ष हजारों बच्चे कडी मेहनत के दम पर एमपीएसी,यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करते है,लेकिन समय पर चयन नहीं होता। दो से तीन साल तक पेंडिंग रखा जाता है। ऐसे में प्रतियोगी छात्र का मानसिक संतुलन का बिगडना स्वभाविक है।