Maharashtra News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) पिछले कई दिनों से जारी महाराष्ट्र की सियासी में लड़ाई अब उद्धव सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ गई है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने गुरुवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया है। बीजेपी की मांग पर राज्यपाल ने कहा कि 30 जुलाई यानी गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा। फ्लोर टेस्ट सुबह 11 बजे शुरू होगा और किसी भी सूरत में 5 बजे से पहले इसे पूरा कर लिया जाए। इस आदेश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। ऐसे में देखना है कि उद्धव सरकार कैसे सदन में बहुमत साबित करती है। राज्यपाल ने कहा है कि प्रदेश की राजनीतिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शिवसेना के 39 विधायक पहले ही महा विकास अघाड़ी गठबंधन से अलग होने की बात कह चुके हैं। वहीं 7 निर्दलीय विधायकों ने भी पत्र लिखकर उद्धव सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही है।
गवर्नर के फ्लोर टेस्ट के लिए डेडलाइन तय करने के बाद अब उद्धव सरकार को सदन में बहुमत साबित करना पड़ा तो ऐसी स्थिति में नंबरगेम फेल हो सकता है। शिवसेना के पास 55 विधायक हैं, जिसमें 39 ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है और गुवाहाटी में कई दिनों से डेरा डाल रखा है। ऐसा दावा शिंदे गुट का है। दूसरी ओर उद्धव गुट के लिए चिंता की ये भी बात है कि सरकार में शामिल दो विधायक कोरोना पॉजिटिव हैं, जबकि सहयोगी एनसीपी के दो विधायक जेल में हैं। यानी कुल 43 विधायकों का हिसाब-किताब बिगड़ा हुआ है। वहीं, महा विकास अघाड़ी के साथी प्रहार पार्टी के दो विधायक और 7 निर्दलीय भी उद्धव सरकार से दूरी बनाने की तैयारी में हैं।
इधर, शिवसेना ने भी 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भले ही शिंदे गुट शिवसेना के इस कदम को तकनीकी रूप से गलत बता रहा हो, लेकिन बागी विधायकों के लिए आगे का रास्ता उतना आसान नहीं रह गया है, जितना नजर आ रहा था। शिवसेना ने 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल से की है। इसे लेकर अब शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शिंदे गुट के पास शिवसेना के 39 विधायक हैं। ऐसे में शिंदे के पास दो-तिहाई विधायक हो गए हैं। तर्क दिया जा रहा था कि उनके पास दो-तिहाई विधायक हैं, इसलिए उनके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। चर्चा ये भी रही है कि वो बीजेपी के साथ सत्ता बनाने के पक्षधर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के रास्ता उन्होंने और आसान कर दिया है।
लेकिन, सवाल ये भी है कि क्या गुवाहाटी में हर बागी विधायक शिंदे के साथ है या फिर उसने कुछ उद्धव गुट के लोग भी हैं। इतना ही नहीं क्या महाराष्ट्र पहुंचकर कुछ विधायक पलट सकते हैं। ये हालात बनने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उद्धव खेमा भी यह बात लगातार कह रहा है कि गुवाहटी में जो विधायक हैं, उनमें कई उनके साथ हैं।
ऐसे भी सत्ता में आ सकती है
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं, लेकिन शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद 287 विधायक हो गए हैं। ऐसे में सरकार बनाने के लिए 144 विधायकों की जरूरत होती है। राष्ट्रवादी के पास 53 विधायक हैं, कांग्रेस के पास 44 विधायक और शिवसेना के पास 55 विधायक हैं। लिहाजा तीनों दलों की बात करें तो कुल मिलाककर उनके पास 152 विधायक होते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में कई छोटे-छोटे दल भी शामिल हैं। लेकिन शिवसेना में हुई बगावत ने सारे गणित गड़बड़ा दिए हैं। उद्धव की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी का बीवीए के 3, सपा के 2, पीजेपी के 2, पीडब्ल्यूपी के एक और 8 निर्दलीय विधायक समर्थन कर रहे हैं। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के पास 106 विधायक हैं और सात निर्दलीय व अन्य विधायकों का समर्थन है। इस तरह से एनडीए की बात करें तो उसके पास कुल 113 विधायकों का समर्थन है।
वहीं, अगर एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी में ठहरे बागी विधायकों को अगर अयोग्य ठहरा दिया जाता है या किसी तरह वोटिंग से रोक दिया जाता है और निर्दलीय उद्धव सरकार से किनारा कर लेते हैं तो बहुमत के आंकड़ों को एनडीए आराम से हासिल कर लेगा। 287 विधायकों के लिहाज से बहुमत के लिए 144 विधायकों का समर्थन चाहिए, लेकिन शिंदे गुट के 39 विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं होते हैं और चार महा विकास अघाड़ी के शामिल नहीं होते तो बहुमत के लिए 121 विधायकों का आंकड़ा चाहिए होगा। ऐसी स्थिति में बीजेपी के 113 विधायकों के साथ-साथ 16 निर्दलीय और अन्य विधायक भी साथ खड़े हैं। इस तरह से एनडीए का आंकड़ा 129 पर पहुंचता है जबकि उद्धव सरकार सदन में बहुमत साबित करने में सफल नहीं हो पाएगी।
फडणवीस ने की थी फ्लोर टेस्ट की मांग
मंगलवार को सूबे के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस उद्धव सरकार के खिलाफ फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर राजभवन गए और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिले थे। फडणवीस ने कहा था कि शिवसेना के दो तिहाई विधायक बाहर हैं और वो एनसीपी और कांग्रेस के साथ नहीं रहना चाहते हैं। उद्धव सरकार अल्पमत में है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री सदन में बहुमत साबित करें। बीजेपी की इस मांग पर गवर्नर ने फ्लोर टेस्ट के लिए कहा है वहीं, सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र मामले में बुधवार को शाम पांच बजे सुनवाई करेगा, जिसमें तमाम पहलुओं पर विचार किया जा सकता है।