Pune News vपुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम, 1964 के अनुसार शासकीय कार्य शत-प्रतिशत मराठी भाषा में होना चाहिए और इसके लिए सभी विभाग मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न गतिविधियों को क्रियान्वित कर अधिक से अधिक प्रयास करें,ऐसा आदेश कलेक्टर डॉ.राजेश देशमुख ने दिया।
वे समाहरणालय में आयोजित जिला मराठी भाषा समिति की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे। इस अवसर पर निवासी डिप्टी कलेक्टर हिम्मत खराडे, डिप्टी कलेक्टर अमृत नाटेकर, उप मुख्य कार्यपालन अधिकारी राहुल गावडे, उप निदेशक सूचना डॉ. पुरुषोत्तम पाटोडकर, शिक्षा अधिकारी (मध्य) सुनंदा वाखरे, पुणे पालिका शिक्षा अधिकारी श्रीमती. मंजिरी देशपांडे, शिक्षा अधिकारी (प्र.) रमेश चव्हाण, राजकीय संभागीय पुस्तकालय के लाइब्रेरियन सुरेश रिद्दीवाडे, पुलिस अधीक्षक कार्यालय के विकास जाधव, पिंपरी चिंचवड़ पालिका के रविकिरण घोड़के, भाषा निदेशालय के अधीक्षक सुनील शिरसत उपस्थित थे।
कलेक्टर डॉ. देशमुख ने कहा, जिस तरह राज्य सरकार के कार्यालयों में मराठी का उपयोग अनिवार्य है, त्रिभाषा सूत्र के अनुसार, राज्य में केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी कार्यालयों में मराठी भाषा का उपयोग अनिवार्य है। इस संबंध में सरकार के निर्देशानुसार मराठी भाषा संवर्धन पखवाड़ा एवं मराठी भाषा दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष मराठी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। प्रत्येक कार्यालय में मराठी भाषा के अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। यदि सरकारी कार्यालय में मराठी भाषा में लेनदेन के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होती है तो कलेक्टर कार्यालय को सूचित किया जाना चाहिए।
डिप्टी कलेक्टर श्री. नाटेकर ने कहा कि प्रत्येक जिले में एक मराठी भाषा समिति बनाई गई है और उस समिति में कला, साहित्य, संस्कृति और प्रकाशन के क्षेत्र में काम करने वाले और जिले में रहने वाले व्यक्तियों में से दो प्रतिनिधि नामित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा के प्रसार के लिए राजकीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी गतिविधि बहुत अच्छी है। सूचना उप निदेशक डॉ. पुरुषोत्तम पाटोडकर ने कहा, मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए हर सरकारी दफ्तर में महाराष्ट्र के राज्य गान के लिए स्टैंड लगाना चाहिए। इससे सरकारी कार्यालय में आने वाले अन्य वक्ताओं को भी राष्ट्रगान पता चलेगा। साथ ही 1 मई को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाए, अगर मराठी में गायब होने वाले शब्दों और उसके चित्रों और सूचनाओं की तरह एक किताब तैयार की जाती है, तो यह पुणे जिले की एक अलग पहल होगी। आने वाली पीढ़ी के लिए यह किताब बहुत काम आएगी। इस अवसर पर विभिन्न शासकीय कार्यालयों द्वारा मराठी भाषा के संरक्षण हेतु क्रियान्वित गतिविधियों की समीक्षा की गयी। साथ ही सरकारी कार्यालयों में दैनिक कार्यों में मराठी भाषा के अधिक से अधिक प्रयोग के लिए किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की गई।