Pune News हिंजवडी(व्हीएसआरएस न्यूज) चूंकि महाराष्ट्र सरकार विखंडन अधिनियम(टुकडेबंदी) को निरस्त करने पर विचार कर रही है, इसलिए राज्य में बागवानी और कृषि योग्य भूमि की खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध अब हटा लिया जाएगा। इसलिए हिंजेवाड़ी,मान और आसपास के गांवों के किसानों में उत्साह का माहौल है।’टुकड़ेबंदी-टुकड़ेजोड़ एवं चकबंदी अधिनियम 1947’ में बदलाव की सूचना हिंजवडी क्षेत्र में हवा की तरह फैल गई है।
इसमें कृषि योग्य भूमि की खरीद-बिक्री के लिए कम से कम 20 गुंडा और बागवानी के लिए पांच गुंडा की सीमा होगी। बताया जा रहा है कि राजस्व विभाग की ओर से इस तरह का प्रस्ताव शासन को सौंपा गया है। इससे जमीन खरीदने वाले ग्राहकों में उत्साह का माहौल है और यह उनकी उम्मीद की पूर्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला होगा कि भविष्य में उनके नाम सात-बारा(खाता खतौनी) होंगे।
पांच-छह गुंडा जमीन खरीदने पर पाबंदी थी
इससे पहले राज्य सरकार ने भूमि की खरीद-बिक्री के दौरान होने वाले विवाद या विवाद से बचने के लिए कृषि योग्य और सिंचित भूमि के लिए नए नियम लागू किए थे। यदि कृषि योग्य भूमि दो एकड़ (80 गुंडा) से कम थी,तो बिक्री से पहले कलेक्टर या प्रतिनिधि की अनुमति अनिवार्य कर दी गई थी। अगर कोई किसान बागबानी की जमीन बेचना चाहता है तो उसकी सीमा बढ़ाकर 20 गुंडा कर दी गई है। एक नियम यह भी बनाया गया था कि दो एकड़ के समूह में पांच-छह गुंडा जमीन को खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है।
किसान आंदोलन की सफलता की आशा
इस फैसले का कई बार विरोध भी हुआ था। सुझाव एवं आपत्तियां आमंत्रित की गई थी। फिलहाल सरकार नियमों में बदलाव के फैसले पर पहुंच गई है। इससे आईटीनगरी,औद्योगिक सम्पदा,पुणे शहर,पिंपरी-चिंचवड़ शहर के पास के गांवों में जहां गुंठेवाड़ी और जमीन की खरीद का लेनदेन बड़े पैमाने पर हो रहा है। वहां जमीन खरीदकर घर बनाने का कई लोगों का सपना पूरा होगा।
सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा
इससे राज्य के लाखों किसानों की समस्याओं का समाधान होगा और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। अक्टूबर के अंत तक फैसला आने की संभावना है। लेकिन कई जमीन खरीदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। गुंठेवाड़ी के बंद होने के कारण, कई तालुकों में माध्यमिक रजिस्ट्रार कार्यालय सूख गए थे। केवल फ्लैट पंजीकरण के लिए आने वाले ग्राहकों और बिल्डरों की संख्या में भी पूर्व में कमी आयी है।
खाद खरीदने पर भारी खर्च
पिछले कुछ वर्षों में यह नियम जमीन खरीदने-बेचने वाले कई व्यवसायियों और उपभोक्ताओं के लिए बड़ी दुविधा पैदा कर रहा था। इसमें जमीन खरीदते-बेचते बाबूगिरी काफी हद तक फला-फूला। हाल के दिनों में एक जगह खरीदने के लिए प्रति यूनिट 25 हजार रुपये से ज्यादा खर्च करने की बात हो रही है। दो या दो से अधिक लोगों द्वारा गुंठा-दो गुंठा या 11 गुंठा खरीदते समय काफी मुश्किलें आती हैं। इससे खाद खरीदते समय आधा रुपये चुकाने पड़ते हैं। उसमें भी कुलमुख्तयार पत्र(पॉवर ऑफ बटर्नी) बनाकर भूमि का हस्तान्तरण होता है तो जो व्यक्ति जगह खरीदता है वह असुरक्षा की भावना महसुस करता है।
निर्णय के प्रमुख लाभ-
राजस्व विभाग में घटेगी कदाचार,गैरव्यवहार,गडबडी
राज्य के राजस्व में काफी हद तक वृद्धि होगी
मध्यम वर्ग के उपभोक्ता,किसान आसानी से खरीद सकते हैं जमीन
शहर में रुके हुए लेन-देन में तेजी आएगी
किसानों को होगा फायदा