Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) जी हां! हम बता दें कि मध्य रेल मुंबई मुख्यालय में गत कई वर्ष से तैनात सीपीआरओ शिवाजी सुतार का आखिरकार मुंबई से तबादला हो गया। सुतार को रेल्वे बोर्ड में निदेशक सूचना एवं प्रचार (डायरेक्टर) बनाया गया है। वही इस बिषय को लेकर रेल्वे के गलियारों में यह चर्चा है। या यूँ कहे कि रेल्वे के विशेष सूत्रों से जानकारी मिली है की मध्य रेल मुंबई के एक भूतपूर्व अति वरिष्ठ अधिकारी, जो अभी रेल्वे बोर्ड में पदस्थ है! उनकी मेहरबानी से शिवाजी सुतार को बोर्ड में पदस्थ करवाया गया है। यही नही बल्कि शिवाजी सुतार के लिये रेल्वे बोर्ड ने भी इस पद का नव निर्माण भी कराया या यूँ कहे की निदेशक सूचना एवं प्रचार पद रेलवे बोर्ड (डायरेक्टर) पद की स्थापना कराया गया। सूत्रों की माने तो यह पद अभी तक रेल्वे बोर्ड में नही था, निदेशक सूचना एवं प्रचार का पद रेलवे बोर्ड द्वारा सुतार के लिये स्पेशल निर्मित किया गया है।
सीपीआरओ सुतार पर रेलवे बोर्ड के वरिषष्ठ अधिकारी मेहरबान क्यों ?
अब सवाल यह उठता है की आखिर यह अधिकारी कौन? तथा यह शिवाजी सुतार पर इतना मेहरबांन क्यों? क्या वजह है की यह अधिकारी सुतार को अपने नजरों के सामने रखना चाहता है? अभी तक रेलवे के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब इस रैंक के अधिकारी को पद निर्मित करके सीधे निदेशक सूचना एवं प्रचार रेलवे बोर्ड में दिया गया। अब देखने वाली बात यह है की क्या इसकी जांच रेलवे कराएगा? या इस अधिकारी के सामने सब नत मस्तक हो जायेंगे,सूत्रों की माने तो इस अधिकारी के रहते कोई भी जांच संभव नही है।
‘दिव्य काशी यात्रा ट्रेन उद्घाटन कार्यक्रम में पत्रकारों का अपमान,कार्यक्रम का बहिष्कार
वही पुणे में दिनांक 28/4/2024 को रेल मुख्यालय मुंबई द्वारा ‘गंगासागर दिव्य काशी यात्रा भारत गौरव ट्रेन’के उद्घाटन का कार्यक्रम पुणे में रखा गया था जहां पर उस कार्यक्रम की खबरों का संकलन करने हेतु पत्रकारों को रेल मुख्यालय मुंबई के जनसंपर्क बिभाग द्वारा निमंत्रित किया गया था। लेकिन प्रोटोकाल के अनुसार पत्रकारों को सबसे आगे बैठने हेतु आसन की ब्यवस्था होनी चाहिए थी। जबकी उस कार्यक्रम में पत्रकारों के बैठने हेतु सबसे पीछे आसन रखे गये थे जहां एक फलक लगा था की पत्रकारों के बैठने की व्यवस्था यहां है। इस पर कई सवाल खडे होना लाजमी है। क्योंकि कार्यक्रम स्थल पर सीपीआरआर शिवाजी सुतार,तथा वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी उपस्थित थे। सीपीआरओ सुतार की टीम के अन्य सदस्य भी कार्यक्रम स्थल में उपस्थित थे। वही दुनिया में कहीं भी पत्रकारों को आगे की प्रथम कतार में बैठाया जाता है जिससे सभी पत्रकार आसानी से खबरों का संकलन कर सके, लेकिन यहा ठीक उल्टा था जहां बैठकर पत्रकार ना तो खबर बना सकता है ना ही फोटो ग्राफी कर सकता, न ही वीडियो ग्राफी कर सकता है। वही किसी तरह से कुछ पत्रकार अपनी पत्रकारिता धर्म का निर्वहन कर रहे थे। उस पर भी रेल्वे के कुछ अति उत्साही कर्मी मंच के बीचों बीच फोटो ग्राफी कर रहे थे, यह सब देखकर कई पत्रकारों ने कार्यक्रम स्थल से इसका बहिष्कार करके चुपचाप चले गये! एक तरफ रेलवे बोर्ड प्रचार प्रसार में बडी रकम खर्चा करता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है क्या यह सब मध्य रेल मुंबई मुख्याल के होनहार सीपीआरओ या जनसंपर्क के अन्य अधिकारियों को नही दिखाई दिया या जानबूझकर अंजान बने रहे?