Pune News पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) विरासत का दर्जा प्राप्त नए मराठी स्कूल भवन ने शनिवार को अपनी शताब्दी पूरी कर ली। उस अवसर पर दीपोत्सव व रोशनी का आयोजन किया गया। इस वर्ष विद्यालय अपना शताब्दी रजत जयंती वर्ष मना रहा है। डेक्कन एजुकेशन सोसायटी गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष डॉ. शरद कुंटे, प्रबंधक डॉ. इस मौके पर सविता केलकर, आर्किटेक्ट रवींद्र कनाडे, ज्योतिप्रकाश सराफ, प्रिंसिपल कल्पना वाघ मौजूद रहीं।
महान समाज सुधारक लोकमान्य तिलक, गोपाल गणेश अगरकर, विष्णुशास्त्री चिपलुणकर, माधव नामजोशी ने 1880 में पुणे में ’न्यू इंग्लिश स्कूल’ की स्थापना की। मोरोबाबाद के वाडा, गदरे वाडा आदि जगहों पर स्कूल शुरु हुआ। कम समय में छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण, और इस विद्यालय के पूरक के लिए, यह निर्णय लिया गया कि प्राथमिक विद्यालय स्वतंत्र होना चाहिए। जैसा कि तय किया गया था, 4 जनवरी 1899 को, स्कूल का नाम नवीन मराठी स्कूल के नाम से होल्कर वाडा में रखा गया था। महर्षि धोंडो केशव कर्वे इस विद्यालय के पहले प्रधानाध्यापक थे। चूंकि स्कूल इस वर्ष अपनी शताब्दी रजत जयंती मना रहा है, इसलिए स्कूल का मुख्य भवन 100 साल पूरा कर रहा है। ऐसे दोहरे ऐतिहासिक क्षण एक साथ आए हैं।
अंग्रेजों के जमाने की पत्थरों से बनी एक विशाल इमारत, निर्माण की ब्रिटिश शैली की छाप इस इमारत पर पूरी तरह से दिखाई देती है। लोहे के खंभे, अर्धवृत्ताकार मेहराब, बड़े लोहे के बीम, ढलान वाली छतें, विशाल प्रांगण, रोशनदान वाली विशाल कक्षाएँ, लकड़ी और पत्थर की सीढ़ियाँ, गुलाब की खिड़की में घड़ी, बड़ा प्रार्थना कक्ष, स्कूल का बगीचा, हरा-भरा वातावरण आज भी सुंदर है। विद्यालय की देखरेख की जाती है।