Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) भारतीय जनता पार्टी ने सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ पुणे अधिसभा(सीनेट) चुनाव में नौ सीटें जीतकर अपना दबदबा कायम रखा। महाविकास अघाड़ी सिर्फ एक सीट जीत सकी थी। इस साल पहली बार इस चुनाव में राजनीतिक दलों ने खुलकर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और यह चुनाव राजनीतिक हो गया है। भाजपा से जुड़े विद्यापीठ विकास मंच,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी,शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे),सावित्रीबाई फुले पैनल,कांग्रेस समर्थित छत्रपति शाहू महाराज परिवर्तन पैनल,हिंदू महासभा आदि की 10 सीटों के लिए 37 उम्मीदवार मैदान में थे। मतगणना मंगलवार देर रात समाप्त हो गई।
भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध विद्यापीठ विकास मंच ने दस में से नौ सीटें जीतीं। ओपन ग्रुप में अनुसूचित जाति वर्ग से प्रसेनजीत फडणवीस, सागर वैद्य, युवराज नरवड़े, दादा भाऊ भीकाजी शिनलकर, राहुल पाखरे, भाटक्या वर्ग से विजय सोनवणे, अन्य पिछड़ा वर्ग से सचिन गोर्डे, अनुसूचित जनजाति वर्ग से गणपत नांगरे, महिलाओं से बागेश्री मांथालकर ने जीत हासिल की। महाविकास अघाड़ी के सावित्रीबाई फुले प्रगति पैनल के इकलौते उम्मीदवार बकेराव बस्ती जीते। ओपन कैटेगरी की दो सीटों को लेकर खींचतान हुई।
महाविकास अघाड़ी में फूट का असर?
कांग्रेस जो राज्य में महाविकास अघाड़ी की घटक पार्टी है,ने इस चुनाव में एक अलग आग लगा दी,यह देखा गया कि महाविकास अघाड़ी में विभाजन हो गया था। कांग्रेस ने महाविकास अघाड़ी में भाग लिए बिना छत्रपति शाहू महाराज परिवर्तन पैनल का समर्थन किया। लेकिन इस पैनल का एक भी उम्मीदवार नहीं चुना गया। वोटों के बंटवारे से महाविकास अघाड़ी को झटका लगा है।
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय ने इस वर्ष के सीनेट चुनाव में 10 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की है। इसके लिए सभी मतदाताओं का विशेष धन्यवाद। साथ ही छात्रों की समस्याओं को हल करने पर जोर दिया जाएगा। लेकिन इस चुनाव में हमें 1 सीट पर हार का सामना करना पड़ा। प्रसेनजीत फडणवीस (विजेता उम्मीदवार सीनेट सदस्य, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चचेरे भाई) ने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की।