Maharashtra News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा बीते शनिवार को टेलीफोन पर वंदे मातरम बोलने के संदर्भ में जारी किये गए जीआर के बाद सियासी संग्राम छिड़ चुका है। एक तरफ जहां सत्ता पक्ष इसे एक बेहतरीन पहल बता रहा है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इस को लेकर कई सवाल उठा रहा है।मुंबई में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि मैं सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा जरूर बोलूंगा लेकिन वंदे मातरम कभी नहीं बोलूंगा। हम सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं और उन्हीं की इबादत करेंगे। अबू आजमी ने कहा कि मैं जितनी भी बार बालासाहेब ठाकरे से मिला हमेशा उनके मुंह से जय महाराष्ट्र बोलते हुए सुना। इस बाबत खुद महाराष्ट्र सरकार ने जीआर भी निकाला था। आखिर शिंदे सरकार जय महाराष्ट्र की जगह वंदे मातरम बोलने के लिए लोगों को क्यों मजबूर करना पड़ रहा है? एकनाथ शिंदे के इस आदेश से यह समझ में आता है कि वह भी अब बीजेपी और आरएसएस की भाषा बोलने लगे हैं या फिर वह उनके दबाव में काम कर रहे हैं।
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने वंदे मातरम का विरोध करने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा की आज भी कुछ मुस्लिम नेता इसका विरोध कर रहे हैं। सोमैया ने पूछा कि बुर्का न पहनने पर हिंदू पत्नी की हत्या, आज़ाद कश्मीर की तरफदारी करने के खिलाफ़ यह लोग आवाज नहीं उठाते हैं। वंदे मातरम तो बोलना पड़ेगा।
एनसीपी ने कसा तंज
एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रासटो ने शिंदे- फडणवीस सरकार को घेरते हुआ कहा कि सरकार इस तरह की जबरदस्ती नहीं कर सकती है। लोगों को अपनी मर्जी से यह बोलने देना चाहिए। सरकार तानाशाही रवैया नहीं अपना सकती है। सरकारी मुलाजिमों को फोन कॉल पर जवाब देते समय वंदे मातरम बोलने की अनिवार्यता पूरी तरह से गलत है।
इससे रोजगार मिलेगा क्या?
वंदे मातरम के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी के नेता चरण सिंह सपरा ने सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हम वंदे मातरम बोलने के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं हैं। हालांकि मेरा शिंदे सरकार से सरकार से सवाल है कि जय महाराष्ट्र बोलने वाले आदेश का क्या होगा। आखिर शिंदे सरकार को जय महाराष्ट्र से क्या आपत्ति है। आखिर उन्हें जय महाराष्ट्र बोलने में क्या दिक्कत है? क्या शिंदे सेना आरएसएस के इशारे पर चल रही है। या फिर यह एक बड़ी साजिश है जिससे राज्य की जनता का ध्यान जरूरी मुद्दों से हटाया जा सके। आज मंहगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे जनता के सामने मुंह बाए खड़ें हैं। क्या वंदे मातरम बोलने से यह समस्याएं खत्म हो जाएंगी। अगर ऐसा है तो मैं वंदे मातरम एक नहीं हजार बार बोलने को तैयार हूं। मेरी नजर में यह सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने का एक तरीका है।
एआईएमआईएम के निशाने पर सीएम
वंदे मातरम के मुद्दे पर एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान ने भी शिंदे- फडणवीस सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने बीजेपी के नेताओं के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। अगर हमने फोन पर वंदे मातरम बोल दिया तो क्या इससे देश में मौजूद बेरोजगारी खत्म हो जाएगी। राज्य में मौत को गले लगाते किसानों की आत्महत्या रुक जाएगी? बीजेपी सिर्फ लोगों को बेवकूफ बना रही है। वंदे मातरम बोलने की शुरुआत भी ये लोग गांधी जयंती से कर रहे हैं। जिस नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या की थी। उस व्यक्ति की आरएसएस के लोग पूजा करते हैं।